अमेरिका ने जताया रूस का विरोध, तो भारत ने UNSC में अपनाई तटस्थता की नीति
यूएन सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) में भारत ने यूक्रेन में मानवीय संकट पर रूस के प्रस्ताव पर वोटिंग से दूरी बना ली. खास बात ये है कि भारत ने यूक्रेन और रूस युद्ध के मुद्दे पर अपनी तटस्थता को बरकरार रखा है. यही वजह है कि इससे पहले भारत यूएन में यूक्रेन मुद्दे पर रूस के खिलाफ पश्चिम देशों के प्रस्ताव पर भी दूरी बनाता आया है. भारत समेत कुल 13 देशों ने रूस के प्रस्ताव पर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. रूस ने इस प्रस्ताव को सीरिया, उत्तर कोरिया और बेलारूस के समर्थन से पेश किया था. लेकिन यह पास नहीं हो सका, क्योंकि इसे पास होने के लिए 9 वोट की जरूरत थी.
रूस और चीन ने इस प्रस्ताव के समर्थन में वोट किया. वहीं, भारत और सिक्योरिटी काउंसिल के बाकी सदस्यों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. यूएन का परमानेंट सदस्य रूस ने 15 सदस्यों की काउंसिल में प्रस्ताव पेश किया था. प्रस्ताव में रूस ने महिलाओं, बच्चों और मानवीय कर्मियों समेत सभी नागरिकों को सरंक्षित करने, रूस और यूक्रेन के बीच राजनीतिक वार्ता, मध्यस्थता और अन्य शांतिपूर्ण तरीकों से समाधान करने की अपील की थी.
वहीं, वोटिंग के बाद सदस्य देशों ने बयान भी जारी किया. लेकिन भारत ने कोई बयान नहीं दिया. इससे पहले भारत दो बार सिक्योरिटी काउंसिल में वोटिंग में हिस्सा लेने से मना कर चुका है. भारत ने रूस के खिलाफ जनरल असेंबली में आए प्रस्ताव पर भी वोटिंग नहीं की थी.
यूएन में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा, सुरक्षा परिषद के 13 सदस्यों ने यूक्रेन में पैदा हुए मानवीय संकट के लिए रूस के प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं की. थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा, रूस ने युद्ध छेड़ा, हमला किया. उसने ही यूक्रेन में घुसपैठ की, यूक्रेन में लोगों पर अत्याचार का एकमात्र जिम्मेदार देश रूस है. अब रूस चाहता है कि हम उस प्रस्ताव को पास करें जो इनकी क्रूरता को भी स्वीकार ना करे. यह बेहद गैरजिम्मेदाराना कदम है.