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अमेरिका: डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना संकट को त्रासदी में बदला, प्रसिद्ध साइंस जर्नल ने 208 साल में पहली बार लिखा राजनीतिक संपादकीय

Kunti Dhruw
11 Oct 2020 3:04 PM GMT
अमेरिका: डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना संकट को त्रासदी में बदला, प्रसिद्ध साइंस जर्नल ने 208 साल में पहली बार लिखा राजनीतिक संपादकीय
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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। वर्तमान में ट्रंप कोरोना संक्रमित होने के बाद वाइट हाउस में क्वांरटीन हैं। वहीं, अमेरिका में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को लेकर प्रसिद्ध द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन ने अपने 208 साल के इतिहास में पहली बार राजनीतिक संपादकीय लिखा है। इस लेख के जरिए जर्नल ने ट्रंप पर जमकर निशाना साधा है।

ट्रंप ने संकट को त्रासदी में बदला

34 संपादकों के हस्ताक्षरित इस संपादकीय को बुधवार को प्रकाशित किया गया था। इसमें से 33 संपादक अमेरिका के निवासी हैं। इस जर्नल ने लिखा कि ट्रंप ने कोरोनो वायरस महामारी के लिए इतनी खराब प्रतिक्रिया दी थी कि उन्होंने एक संकट लिया और इसे एक त्रासदी में बदल दिया। हालांकि, इस लेख में किसी भी तरह से डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन का समर्थन नहीं किया गया है। फिर भी माना जा रहा है कि मैगजीन ने परोक्ष रूप से बाइडेन का समर्थन किया है।

इस जर्नल के संपादक कर चुके हैं बाइडेन का समर्थन

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन के एडिटर इन चीफ डॉ एरिक रुबिन ने कहा कि जर्नल के संपादकीय इतिहास में यह चौथी ऐसी घटना है जब किसी लेख को सभी संपादकों ने हस्ताक्षरित किया है। इस मैगजीन के संपादक एक अन्य प्रभावशाली प्रकाशन साइंटिफिक अमेरिकन में शामिल हैं जिसने कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति पद के लिए जो बाइडेन का समर्थन किया था।

ट्रंप प्रशासन पर साधा निशाना

मैगजीन ने अपने संपादकीय में ट्रंप प्रशासन की आलोचना करते हुए लिखा कि राजनीतिक नेतृत्व ने अमेरिकी लोगों को निराश किया। अमेरिका में शुरुआत में वायरस की पहचान के लिए बहुत कम परीक्षण किया गया। अस्पतालों के पास सुरक्षात्मक उपकरणों की कमी थी। मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंशिंग, क्वारंटीन और आइसोलेशन को लेकर भी राष्ट्रीय नेतृत्व की कमी देखी गई।

अमेरिका में की गई राजनीति

इतना ही नहीं, आरोप लगाया गया कि खाद्य और औषधि प्रशासन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान और रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों का राजनीतिकरण करके उन्हें कमजोर करने के प्रयास किए गए थे। इसी के कारण अमेरिका में हजारों लोगों की अतिरिक्त मौते हुईं। इससे लोगों को आर्थिक परेशानी और मानसिक पीड़ा के दौर से भी गुजरना पड़ा। इस वायरस ने अमेरिका के गरीब समुदाय को सबसे ज्यादा परेशान किया।

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