अमेरिका की साइबर सुरक्षा कंपनी 'सिमैंटेक' ने चीन के एक ऐसे हैकिंग टूल की खोज की है जो एक दशक से भी अधिक समय से लोगों का ध्यान खींचने से बचता रहा है। कंपनी के सुरक्षा शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस खोज को हाल ही में अमेरिका सरकार के साथ साझा किया गया है। शोधकर्ताओं द्वारा सोमवार को प्रकाशित इस टूल का नाम 'डक्सिन' बताया गया है।
अमेरिका में 'सिमैंटेक' चिप निर्माता ब्रॉडकॉम का एक विभाग है और उसके इस शोध को बाइडन प्रशासन बेहद गंभीर नतीजों के तौर पर देख रहा है। अमेरिकी साइबर सुरक्षा अवसंरचना सुरक्षा एजेंसी (सीआईएसए) के एसोसिएट निदेशक क्लेटॉन रोमांस ने कहा, यह कुछ ऐसा है जिसे हमने पहले नहीं देखा है। यह ठीक उसी प्रकार की जानकारी है जिसे हम हासिल करने की उम्मीद कर रहे हैं।
वाशिंटन में चीनी दूतावास ने इस खुलासे से जुड़े सवालों पर टिप्पणी नहीं की है। चीनी अधिकारी पहले से ही कहते आए हैं कि चीन भी हैकिंग का शिकार और हर तरह के साइबर हमले का विरोध करता है। साइबर खतरों के मुख्य विश्लेषक अधिकारी नील जेनकिंस के मुताबिक, इस मालवेयर की क्षमताएं उल्लेखनीय हैं और इस सार्वजनिक शोध के बिना पता लगाना बेहद मुश्किल है।
कहीं से भी नियंत्रित हो सकता है 'डक्सिन'
शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर 2021 में डक्सिन से जुड़े सबसे हालिया ज्ञात हमले हुए। डक्सिन की क्षमताएं सुझाव देती हैं कि हमलावरों ने संचार तकनीकों को विकसित करने में महत्वपूर्ण प्रयास किए जो सामान्य नेटवर्क ट्रैफिक के साथ बिना पकड़ में आए मिल सकता है। डक्सिन के पीड़ितों में एशिया और अफ्रीका में उच्च-स्तरीय, न्याय मंत्रालय समेत गैर सरकारी एजेंसियां शामिल थीं। ठाकुर कहते हैं, कंप्यूटर के एक बार संक्रमित होने के बाद डक्सिन को दुनिया में कहीं से भी नियंत्रित किया जा सकता है।
सिमैंटेक के तकनीकी निदेशक हैं विक्रम ठाकुर
अमेरिका में 'सिमैंटेक' की रिपोर्ट पर संघीय सरकार भी ध्यान देती है। इसके तकनीकी निदेशक भारतीय-अमेरिकी विक्रम ठाकुर हैं। उनका कहना है कि चीन पर आरोप उन उदाहरणों पर आधारित है जहां डक्सिन के घटकों को अन्य ज्ञात, चीनी कंप्यूटर हैकर इंफ्रास्ट्रक्चर या साइबर हमले के साथ जोड़ा गया। शोधकर्ताओं ने कहा कि कंप्यूटर में घुसपैठ के पैमाने और उपकरण की उन्नत प्रकृति के कारण यह खोज अहम है।