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14 अगस्त को काबुल पर तालिबान का कब्जा होने के बाद पूरे देश में अराजकता फैल गई थी.
अमेरिका ने ISIS-खोरासान (ISIS-K) के सरगना सनाउल्ला गफ्फारी और काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर बीते साल हुए आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार लोगों से जुड़ी सूचना देने पर 1 करोड़ डॉलर इनाम देने की घोषणा की है. अमेरिका के रिवॉर्ड्स फॉर जस्टिस (RFJ) विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी की.
सनाउल्लाह गफ्फारी का नाम शहाब अल-मुहाजिर
अधिसूचना के मुताबिक, ISIS-K का सरगना शहाब अल-मुहाजिर, जिसे सनाउल्लाह गफ्फारी के नाम से भी जाना जाता है, उसकी जानकारी देने के लिए 1 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक के इनाम की पेशकश कर रहा है. इसमें कहा गया है कि इनाम 26 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान के काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर हुए आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार लोगों की जानकारी देने के लिए भी है.
ISIS-K का मौजूदा नेता है गफ्फारी
RFJ के अनुसार, 1994 में अफगानिस्तान में जन्मा गफ्फारी आतंकी संगठन ISIS-K का मौजूदा नेता है. विभाग ने बताया कि वह पूरे अफगानिस्तान में ISIS-K के सभी अभियानों को मंजूरी देने और उन पर अमल के लिए फंडिंग की व्यवस्था करने के लिए जिम्मेदार है. RFJ ने कहा कि अमेरिकी द्वारा प्रतिबंधित एक विदेशी आतंकी संगठन ISIS-K ने काबुल हवाईअड्डे पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी. इस हमले में कम से कम 185 लोग मारे गए थे, जिनमें 13 अमेरिकी सैनिक शामिल थे, जो नागरिकों की निकासी के अभियान में सहयोग दे रहे थे. ISIS-K के केंद्रीय नेतृत्व ने जून 2020 में गफ्फारी को संगठन का नेता नियुक्त किया था.
ISIS ने की थी घोषणा
अधिसूचना में कहा गया है कि ISIS ने गफ्फारी की नियुक्ति से जुड़ी घोषणा में उसे एक अनुभवी सैन्य नेता और काबुल में ISIS-K के 'शहरी शेरों' में से एक के रूप में बताया था, जो गुरिल्ला अभियानों के अलावा कई जटिल आत्मघाती हमलों की साजिश में शामिल रहा है. RFJ ने ट्वीट करके भी कहा कि 1 करोड़ डॉलर तक का इनाम वाला सनाउल्ला गफ्फारी आतंकी संगठन ISIS-K का वर्तमान नेता है. RFJ को सिग्नल, टेलीग्राम, व्हाट्सएप या हमारी टॉर-आधारित टिप्स लाइन के माध्यम से सूचना दें. इस आतंकी को इंसाफ के दायरे में लाने में मदद करें.
एयरपोर्ट पर हुआ था आतंकी हमला
RFJ ने कहा है कि एक आत्मघाती हमलावर और कुछ बंदूकधारियों ने काबुल हवाईअड्डे पर हमला किया, क्योंकि अमेरिका और अन्य देशों की सरकारों ने अपने नागरिकों और कमजोर अफगानों को मुल्क से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चला रखा था. इस हमले में 18 अमेरिकी सैनिकों सहित 150 से अधिक लोग घायल हुए थे. अफगानिस्तान में सरकार गिरने और 14 अगस्त को काबुल पर तालिबान का कब्जा होने के बाद पूरे देश में अराजकता फैल गई थी.
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