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अमेरिका: राष्ट्रपति बाइडन की टीम बनने के बाद अब प्रगतिशील खेमे ने नीतियों को लेकर खोला नया मोर्चा

Deepa Sahu
30 Dec 2020 1:55 PM GMT
अमेरिका: राष्ट्रपति बाइडन की टीम बनने के बाद अब प्रगतिशील खेमे ने नीतियों को लेकर खोला नया मोर्चा
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अमेरिका: राष्ट्रपति बाइडन की टीम बनने के बाद अब प्रगतिशील खेमे ने नीतियों को लेकर खोला नया मोर्चा

अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने प्रशासन के लगभग सभी महत्वपूर्ण पदों के लिए नाम घोषित कर दिए हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने प्रशासन के लगभग सभी महत्वपूर्ण पदों के लिए नाम घोषित कर दिए हैं। इसमें उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रोग्रेसिव धड़े की तरफ से सुझाए गए नामों की लगभग पूरी अनदेखी कर दी। इससे प्रगतिशील खेमा नाराज है। लेकिन उसने अब नया मोर्चा खोल दिया है। अब टकराव का नया क्षेत्र अगले प्रशासन की तरफ से अपनाई जाने वाली नीतियां हैं। प्रोग्रेसिव खेमे ने अपनी तरफ से नीति-प्रस्ताव पेश किए हैं। वे चाहते हैं कि राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडन इन नीतियों को तरजीह दें।

वेबसाइट 'द हिल' की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रोग्रेसिव खेमा अब इसको लेकर अधिक सचेत हो गया है कि बाइडन उसकी चिंताओं का ख्याल नहीं कर रहे हैं। वे मध्यमार्गी रुख अपना रहे हैं। वैसे पार्टी के दोनों खेमों की नजर फिलहाल जॉर्जिया राज्य में पांच जनवरी को सीनेट के दो सदस्यों के लिए होने वाले चुनाव पर टिकी हैं। अगर डेमोक्रेटिक पार्टी ने ये दोनों सीटें नहीं जीतीं, तो फिर बाइडन की मध्यमार्गी नीतियों को भी संसद (कांग्रेस) से पारित करना मुश्किल हो जाएगा।
प्रगतिशील खेमे के कार्यक्रमों को मंजूरी मिलना तब बेहद मुश्किल हो जाएगा। लेकिन अगर डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जीत गए, तब सीनेट में डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत हो जाएगा। तब नीति और कार्यक्रम पारित करवा कर लागू करना बाइडन प्रशासन की इच्छाशक्ति पर निर्भर करेगा।
इस साल के मध्य में बाइडन और सोशलिस्ट नेता बर्नी सैंडर्स के समर्थकों के पांच संयुक्त टास्क फोर्सेज ने नीति कार्यक्रमों का मसौदा तैयार किया था। अब प्रोग्रेसिव खेमा जोर डाल रहा है कि बाइडन प्रशासन को इन्हीं नीतियों पर अमल करना चाहिए। टास्क फोर्सेज ने 110 पेज का मसौदा तैयार किया था। लेकिन प्रोग्रेसिव ग्रुप-डेमोक्रेसी फॉर्म अमेरिका का कहना है कि इनमें चार मुद्दे ही प्रमुख हैं।
इस ग्रुप के अध्यक्ष चार्ल्स चैंबरलेन ने वेबसाइट 'द हिल' को उन मुद्दों के बारे बताया। उन्होंने कहा कि इनका संबंध मेडिकल बीमा की योजना ओबामा-केयर में पब्लिक विकल्प को जोड़ना (यानी सरकार नागरिकों के लिए बीमा पॉलिसी खरीदे), जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर प्रगति, मतदान अधिकार में विस्तार, और पुलिस की जवाबदेही तय करने के उपाय लागू करने से है।
चैंबरलेन ने कहा कि उनका संगठन सिर्फ उन्हीं बातों पर जोर दे रहा है, जिन पर बाइडन की टीम टास्क फोर्स की बैठकों में सहमत हुई थी। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों का संबंध उन आदर्शवादी बातों से नहीं है, जिनमें प्रगतिशील धड़े यकीन करते हैं। बल्कि इनका संबंध बाइडन टीम के वायदों से है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में बाइडन को अपन वायदों को निभाने का साहस दिखाना चाहिए।
प्रगतिशील धड़ा इन दिनों बहुत सक्रिय है। हाल के चुनावों में उसकी ताकत भी बढ़ी है। अब हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में उससे जुड़े सदस्यों की संख्या 25 से अधिक हो गई है। जिन विचारों की वकालत ये समूह करते हैं, वो चार साल पहले तक हाशिये पर थे। लेकिन 2016 और 2020 के राष्ट्रपति चुनावों के दौरान बर्नी सैंडर्स के अभियानों ने इन्हें लोकप्रिय बना दिया है।
तमाम हालिया सर्वेक्षणों में सबके लिए स्वास्थ्य सुविधा और मुफ्त कॉलेज शिक्षा जैसे सैंडर्स के मुद्दों को बहुमत का समर्थन मिलता दिखा है। इसके बावजूद सैंडर्स उम्मीदवारी का अभियान जीत नहीं सके। बाइडन के समर्थक इसे इस बात का सबूत बताते हैं कि सैंडर्स की राजनीति अभी देश की मुख्यधारा नहीं है। जबकि प्रोग्रसिव्स का दावा है कि अगर बाइडन उनके मुद्दों पर चुनाव लड़ते, तो डेमोक्रेटिक पार्टी को और बड़ी जीत मिलती।
फिलहाल, दोनों धड़ों की निगाहें जॉर्जिया के चुनाव पर हैं। प्रगतिशील गुट के रणनीतिकार जोनाथन तासिनी ने कहा है कि अगर सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी का ही बहुमत बना रहा या दोनों पार्टियों के 50-50 सदस्यों की स्थिति भी रही, तो बाइडन के लिए अपना न्यूनतम एजेंडा लागू करना भी मुश्किल हो जाएगा। ताहिनी ने कहा कि उस हाल में सरकार से अपना एजेंडा लागू करवाने की कोशिश करने के बजाय प्रोग्रेसिव्स के लिए बेहतर होगा कि वे जनता के बीच अपने आंदोलन को मजबूत करने में अपनी ताकत लगाएं।


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