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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: एक भारतीय-अमेरिकी न्यूरोसर्जन ने अब बंद हो चुके एक अस्पताल में रीढ़ की हड्डी की सर्जरी कराने के लिए लगभग 33 लाख अमेरिकी डॉलर की रिश्वत लेने के आरोपों पर अपना अपराध स्वीकार किया है. दरअसल, सैन डिएगो के लोकेश तंतुवाया (55) को फेडरल एंटी-किकबैक (रिश्वत) क़ानून का उल्लंघन करने की साजिश के एक मामले में दोषी ठहराया गया है. न्याय विभाग ने कहा कि प्रेट्रियल रिहाई की शर्तों का उल्लंघन करने के बाद से ही वह मई 2021 से हिरासत में है.
गुरुवार की सुनवाई में उनके याचिका समझौते और बयानों के अनुसार, 2010 से 2013 तक तंतुवेया ने एक अस्पताल में रीढ़ की हड्डी की सर्जरी कराने के बदले माइकल ड्रोबोट से पैसे लिए थे, जो लॉन्ग बीच में पैसिफिक अस्पताल के मालिक थे. संघीय अभियोजकों ने आरोप लगाया कि स्पाइनल सर्जरी के अलग-अलग ऑपरेशनों के लिए रिश्वत की राशि अलग-अलग थी.
बता दें कि पैसिफिक अस्पताल को सर्जरी, विशेष रूप से स्पाइनल और ऑर्थोपेडिक प्रक्रियाओं के लिए काफी प्रसिद्ध था. न्याय विभाग ने आरोप लगाया कि ड्रोबोट ने डॉक्टरों, काइरोप्रैक्टर्स और मार्केटर्स के साथ मिलकर रीढ़ की हड्डी की सर्जरी और अन्य चिकित्सा सेवाओं के लिए पैसिफिक अस्पताल में हजारों मरीजों को रेफर करने के बदले रिश्वत देने की साजिश रची.
आरोप लगाया गया है कि अपने अंतिम पांच वर्षों के दौरान, इस योजना के परिणामस्वरूप रीढ़ की सर्जरी के लिए चिकित्सा बिलों में 500 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक का भुगतान किया गया, जिसमें रिश्वत भी शामिल है.
तंतुवाया ने स्वीकार किया कि उन्हें पता था कि मरीजों को पैसे लेकर रेफर करना अवैध था और उन्होंने पैसे लेकर अपने मरीजों को पैसिफिक अस्पताल में सर्जरी कराने के रेफर कर अपने कर्तव्य का उल्लंघन किया है. बताया जा रहा है कि तंतुवाया ने कुल मिलाकर लगभग 3.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर लिए थे.
गौरतलब है कि अप्रैल 2013 में, लॉ एनफोर्समेंट ने पैसिफिक अस्पताल को इस मामले में संलिप्त पाया था. इस अस्पताल को इसी साल बाद में बेच दिया गया था. न्याय विभाग ने कहा कि अब तक 23 प्रतिवादियों को रिश्वत लेने के लिए दोषी ठहराया गया है.
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