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नियंत्रण को इस्लामोफिया फैलाने के लिए स्वर्णिम मौके के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
सीपीआई (एम) ने आरोप लगाया है कि अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे का इस्तेमाल करते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और हिंदुत्वादी ताकतें मुस्लिमों के खिलाफ भावनाएं भड़का रही हैं और इस्लामोफोबिया फैला रही हैं। लेफ्ट पार्टी ने अपने मुखपत्र 'पीपल्स डेमोक्रेसी' में दावा किया है कि पिछले कुछ सप्ताह में समुदाय के लोगों को हिंसा का शिकार बनाया गया है।
सीपीआई (एम) ने कहा, ''कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम मौलवियों की ओर से तालिबान की प्रशंसा (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी) आदित्यनाथ के लिए तालिबान का हौआ बनाने का बहाना बन गई है।'' मुखपत्र में आगे कहा गया है, ''मुसलमानों के खिलाफ हर दिन हिंसा परेशान करने वाला पैटर्न दिखा रहा है। अगस्त के महीने में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुछ छोटे शहरों में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की कम से कम चार घटनाएं हुई हैं। इन हमलों में गरीब मुसलमानों और फेरीवालों, ऑटो रिक्शा ड्राइवर्स और भिखारियों को निशाना बनाया गया है।"
सीपीआई (एम) ने आरोप लगाया कि इन सभी हमलों में वीडियो बनाया जाता है और फिर सोशल मीडिया पर सर्कुलेट किया जाता है। ऐसा लगता है कि इसका उद्देश्य हिंसा के इन कृत्यों का प्रचार करना और हमलावरों की "वीरता" का महिमामंडन करना है। पार्टी ने कहा, ''अपनी आजीविका कमाने के लिए जाने वाले गरीब मुसलमानों के खिलाफ इस तरह की हिंसा हिंदुत्ववादी संगठनों की फासीवादी गतिविधियों के लक्षण हैं, जबकि बीजेपी शासित राज्यों की सरकारें और केंद्र सरकार हिंदुत्ववादी अजेंडों को लागू करने में अधिक आक्रामक हो रही है।'' मुखपत्र में कहा गया है कि अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण को इस्लामोफिया फैलाने के लिए स्वर्णिम मौके के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
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