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भारत के कुछ इलाकों को अपने नक्शे में शामिल करने का श्रेय ले रहे सभी दल

Subhi
17 Nov 2022 1:40 AM GMT
भारत के कुछ इलाकों को अपने नक्शे में शामिल करने का श्रेय ले रहे सभी दल
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नेपाल में हो रहे चुनाव में नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन (माओइस्ट सेंटर) जैसे प्रमुख सियासी दल कालापानी, लिपुलेख और लिंपाधुरिया को नए राजनीतिक नक्शे में शामिल करने का श्रेय लेने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। हालांकि ये सभी दल चीन के साथ सीमा मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं। भारतीय क्षेत्रों को शामिल करने वाले नए राजनीतिक नक्शे को जनप्रतिनिधि सभा ने सर्वसम्मति से पारित किया था। इसलिए इसका श्रेय लेने के लिए तीनों प्रमुख दल ताल ठोंक रहे हैं।

कुछ दिन पहले धारचुला में एक रैली में यूएमएल के चेयरमैन केपी शर्मा ओली ने कहा कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो वह नए नक्शे में शामिल नेपाली जमीन को भारत से वापस लाएगी। उनके बाद प्रधानमंत्री और नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और सीपीएन (माओइस्ट सेंटर) के चेयरमैन पुष्प कमल दहल ने कहा कि नया नक्शा मात्र ओली के प्रयासों से नहीं जारी हुआ।

हुमला में चीन ने कर रखा है अतिक्रमण

नेपाल के हुमला जिले में सबसे गंभीर सीमा विवाद है। सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने हुमला के सीमावर्ती इलाकों में अतिक्रमण कर रखा है। इतना ही नहीं, चीन ने हुमला के लिमी लाप्चा से हिल्सा तक नेपाली जमीन पर कब्जा किया हुआ है।

चीन के साथ कुछ जिलों में है विवाद

भारत के साथ सीमा विवाद को चुनावी मुद्दा बनाने वाले प्रमुख राजनीतिक दल नेपाल-चीन सीमा मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं। केवल नेपाली कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में इसका चीन के साथ सीमा मसले का जिक्र किया है। चीन से लगते कुछ जिलों को लेकर नेपाल का अपने पड़ोसी मुल्क के साथ विवाद है। इन जिलों में कुछ जगहों पर तो सीमा चिह्नित करने वाले खंभे ही गायब हो गए हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि चीन के साथ हुमला, गोरखा और दोलखा जिलों में सीमा विवाद है।

लोगों को उठानी पड़ रही समस्या

हुमला, गोरखा, ताप्लेजंग, संखुवासभा और रसुवा समेत अन्य कई जिलों में रहने वाले लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ये जिले चीन के तिब्बत से लगते हुए हैं। दुर्भाग्य की बात यह है कि न तो प्रमुख राजनीतिक दलों के उम्मीदवार लोगों को हो रही समस्याओं और चीन के साथ सीमा मसले को सार्वजनिक रूप से उठा रहे हैं और न ही राजनीतिक दलों ने इसे अपने चुनावी एजेंडे में शामिल किया।

समिति ने फेंस हटाने का दिया था सुझाव

चीनी कब्जे की सत्यता जानने को गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव जय नारायण आचार्य के नेतृत्व में एक समिति बनाई गई थी। इसने भी अतिक्रमण की पुष्टि की थी और सुझाव दिया था कि सरकार को चीन की ओर से लगाए गए फेंस को एकतरफा कार्रवाई करते हुए हटा देना चाहिए लेकिन सरकार ने इस सुझाव पर अपनी आंखें बंद कर रखी। रिपोर्ट में कहा गया कि चीन ने लिमी लाप्चा के सीमावर्ती इलाके में अवैध तरीके से एक इमारत खड़ी कर दी है।

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