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तालिबान की जीत के अवसर पर एक बधाई बयान जारी किया
आखिरी अमेरिकी सेना के काबुल छोड़ने के कुछ घंटों बाद अमेरिका में हुए 9/11 आतंकी हमले के जिम्मेदार कुख्यात आतंकी संगठन अल कायदा के वरिष्ठ नेतृत्व ने मंगलवार को अफगानिस्तान में तालिबान की जीत के अवसर पर एक बधाई बयान जारी किया।
अलकायदा ने की तालिबान की प्रशंसा
एक अमेरिकी न्यूज वेबसाइट एफडीडी के लॉन्ग वॉर जर्नल ने बताया कि अल कायदा के नेताओं ने कहा कि काबुल में "प्रेसिडेंशियल पैलेस" में कुरान की आयतों को सुनकर उनके दिलों को 'शांत' किया। बयान में कहा गया है कि हम सर्वशक्तिमान तालिबान की प्रशंसा करते हैं, जिन्होंने दुनिया में अविश्वास के प्रमुख अमेरिका को अपमानित और पराजित किया। बयान में कहा गया कि हम अमेरिका की कमर तोड़ने, उसकी वैश्विक प्रतिष्ठा को धूमिल करने और अफगानिस्तान की इस्लामी भूमि से बदनाम और अपमानित करने के लिए उसकी प्रशंसा करते हैं।
इस्लाम की धरती को आजाद कराना है
अलकायदा की ओर से जारी बयान में कहा कि अब सीरिया, सोमालिया, यमन, कश्मीर और दुनिया भर में मौजूद इस्लाम की उस धरती को आजाद कराना है, जो इस्लाम के दुश्मनों के हाथों में है। ओ अल्लाह! पूरी दुनिया में इस्लाम के बंधक बने लोगों को आजादी दे।' अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान की ओर से पूर्ण आजादी का एलान किया गया था। इसके बाद ही अलकायदा ने यह बयान जारी किया था। अलकायदा ने कहा कि हम लंबे समय से सीरिया, सोमालिया, फलस्तीन और कश्मीर को आजाद कराने की मांग करते रहे हैं।
गोलियों की तड़तड़ाहट के साथ तालिबान ने किया पूरी आजादी का एलान
अफगानिस्तान में काबुल एयरपोर्ट से अमेरिकी सेना के आखिरी विमानों के उड़ान भरते ही तालिबान ने अपनी पूरी आजादी का एलान कर दिया है। अंतिम अमेरिकी सैनिकों के जाने की खुशी में गोलियों की तड़तड़ाहट से काबुल एयरपोर्ट गूंज उठा। काबुल शहर में भी तालिबान ने हवाई फायरिंग की। हवाईअड्डे के रनवे पर खड़े तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने एक छोटी सी भीड़ से कहा कि कि यह क्षण और यह दिन हमारे लिए ऐतिहासिक है। हमें अपनी पूरी आजादी हासिल करने पर गर्व है। हमने अपने देश को विश्व की इतनी बड़ी शक्ति से आजादी दिलाई है। हम अमेरिका सहित पूरी दुनिया से अच्छे संबंध रखना चाहते हैं।
अलकायदा और तालिबान में आंतरिक संबंध
अल-कायदा के नेतृत्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भारतीय उपमहाद्वीप में अफगानिस्तान और पाकिस्तान सीमा क्षेत्र में रहता है। बड़ी संख्या में अल कायदा के लड़ाके और तालिबान के साथ जुड़े अन्य विदेशी चरमपंथी तत्व अफगानिस्तान के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान और अल कायदा के बीच संबंध घनिष्ठ बने हुए हैं। दोनों के संघर्ष जुड़े हुए हैं और अंतर्विवाह के माध्यम से बने हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में जारी घटनाक्रम को समान विचारधारा वाले आतंकी संगठन अल कायदा और तालिबान वैश्विक कट्टरपंथ की जीत के रूप में देख रहे हैं।
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