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हक्कानी नेटवर्क के जरिए तालिबान में करा रहा वार, अखुंदजादा को उतारा मौत के घाट

Neha Dani
21 Sep 2021 10:52 AM GMT
हक्कानी नेटवर्क के जरिए तालिबान में करा रहा वार, अखुंदजादा को उतारा मौत के घाट
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ऐसे में इस बात की पूरी आशंका है कि उनकी हत्या कर दी गई।

अपनी फितरत के मुताबिक अब पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में अपना डर्टी गेम चालू कर दिया है। ब्रिटेन की एक मैग्जीन ने अपनी रिपोर्ट में दावा कियाहै कि हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के बीच हुए खूनी संघर्ष में सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा का कत्ल कर दिया गया है। वहीं उप प्रधानमंत्री मुल्ला बरादर को बंधक बनाकर रखा गया है। हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के बीच सत्ता संघर्ष शुरू होने का का लगातार दावा किया जा रहा है। अब यह जानकारी सामने आ रही है कि इस संघर्ष में पाकिस्तान अपना फायदा तलाश रहा है। अपने फायदे के लिए पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क को लगातार बढ़ावा दे रहा है।

करीब एक महीने पहले तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। बंदूक की नोंक और डंके की चोट पर आतंकी संगठन ने वहां सरकार भी बनाई। लेकिन अब तालिबान के अंदर ही गुटीय संघर्ष शुरू हो चुका है। कंधार सेक्शन का नेतृत्व मुल्ला मोहम्मद याकूब ओमारी कर रहे हैं जबकि काबुल में एक गुट का नेतृत्व दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादी संगठनों में शामिल हक्कानी नेटवर्क का सिरमौर सिराजुद्दीन हक्कानी कर रहा है। अफगानिस्तान की नई तालिबानी सरकार में प्रधानमंत्री बनाए गए हबीतुल्लाह अखुंदजादा कही नजर नहीं आ रहा। उसे लेकर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि उसकी मौत हो चुकी है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को हक्कानी नेटवर्क से जुड़े आतंकवादियों ने किडनैप कर लिया है। मुल्ला अब्दुल गनी बरादर की गिनती उन लोगों में होती है जिन्होंने यूएस से शांति वार्ता की शुरुआत की थी। अफगानिस्तान की नई सरकार के रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब चाहते हैं कि पाकिस्ता की खुफिया एजेंसी ISI उनकी सरकार में दखलअंदाजी बंद करे। जो अफगानिस्तान को पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र मानते हैं। मुल्ला बरादर यह चाहता है कि यूएस, कतर, यूके और पाकिस्तान को सम्मान दिया जाए और एक समावेशी सरकार बने। इस सरकार में अल्पसंख्यकों और महिलाओं को भी तवज्जो दी जाए। कहा जा रहा है कि इसी बात को लेकर हक्कानी गुट और तालिबान गुट आमने-सामने हैं।
अफगानिस्तान में इस बदले हालात के लिए कई जानकार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को भी जिम्मेदार मानते हैं। पाकिस्तान अपने फायदे के लिए काबुल में हक्कानी नेटवर्क और उसके आतंकियों का इस्तेमाल कर रहा है। इस पूरी पिक्चर में पाकिस्तान की चालाकी उस वक्त उजागर हो गई जब आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद काबुल पहुंचे। कहा जा रहा है कि तालिबान और हक्कानी के बीच बढ़ी दूरी की एक वजह पाकिस्तान है। हक्कानी नेटवर्क के करीब 6,000 से ज्यादा लड़ाकू अभी काबुल की सड़कों पर मौजूद हैं। इनेक पास घातक हथियार हैं। आईएसआई लगातार हक्कानी नेटवर्क को प्रोत्साहित कर रही है। हक्कानी, तालिबान सरकार में अल्पसंख्यकों और महिलाओं की भागीदारी बिल्कुल नहीं चाहते हैं।
अफगानिस्तान के शीर्ष नेता हबीतुल्लाह अखुंदजादा कई दिनों से नजर नहीं आ रहे। कंधार और काबुल सेक्शन के बीच सत्ता संघर्ष के खत्म करने में हबीतुल्ला का अहम रोल माना जाता रहा है। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि करांची के एक आर्मी कैंप में करीब 5 महीने पहले अखुंदजादा को देखा गया था लेकिन उसके बाद वो नजर नहीं आए। ऐसे में इस बात की पूरी आशंका है कि उनकी हत्या कर दी गई।


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