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कोरोना संक्रमण
वायु प्रदूषण का सेहत पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव से हर कोई वाकिफ है। अब कोरोना वायरस (कोविड-19) से भी इसका संबंध पाया गया है। एक नए अध्ययन का दावा है कि वायु प्रदूषण के चलते कोरोना संक्रमण गंभीर हो सकता है। दूषित हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 वाले माहौल में लंबे समय तक रहने से कोरोना पीडि़तों को आइसीयू में भर्ती करने का खतरा दोगुना ज्यादा हो सकता है।
अमेरिका के हेनरी फोर्ड हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने अनुसार, ऐसे माहौल में रहने वालों के लिए जोखिम अधिक हो सकता है। हालांकि यह साफ नहीं हो सका है कि वायु प्रदूषकों के चलते कोरोना संक्रमण कैसे और गंभीर हो सकता है। लेकिन यह अनुमान है कि वायु प्रदूषण में लंबे समय तक रहने से इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) को नुकसान पहुंच सकता है। नतीजन वायरसों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ने के साथ ही वायरस संक्रमण गंभीर हो सकता है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि वायु प्रदूषण में मौजूद सूक्ष्म कण वायरस के लिए वाहक के तौर पर काम कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष 2,038 वयस्कों के डाटा के विश्लेषण के आधार पर निकाला है। कोरोना पीडि़त इन मरीजों को गत वर्ष 12 मार्च से 24 अप्रैल के दौरान अस्पतालों में भर्ती करने की जरूरत पड़ी थी। इनमें ज्यादातर ऐसे मरीज रहे, जो उन इलाकों में रहते थे, जहां पीएम 2.5 का स्तर उच्च रहा।
शोधकर्ताओं ने कहा कि वायु प्रदूषण वाले माहौल में रहने वाले लोगों में कोरोना के प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए तत्काल नीति बनाने की जरूरत है। हाल ही में प्रकाशित एक अन्य रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने कहा था कि वायु प्रदूषण से कोरोना वायरस के फैलने का खतरा बढ़ सकता है और कोविड-19 की स्थिति गंभीर हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रदूषण का स्तर बढ़ने से वायरल इन्फ्लूएंजा जैसी सांस की बीमारियां बढ़ जाती हैं।
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