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वायु प्रदूषण और ट्रैफिक का शोर बढ़ाता है हार्ट फेल का खतरा, जानें यह अध्ययन
Deepa Sahu
7 Oct 2021 3:45 PM GMT
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वायु और ध्वनि प्रदूषण के स्वास्थ्य पर होने वाले असर को लेकर कई अध्ययन हुए हैं।
वाशिंगटन, वायु और ध्वनि प्रदूषण के स्वास्थ्य पर होने वाले असर को लेकर कई अध्ययन हुए हैं। अब एक नए अध्ययन में बताया गया है कि यदि आप कई वर्षो तक वायु प्रदूषण और ट्रैफिक के शोर के बीच रहते हैं तो ये दोनों कारकों के कारण हार्ट फेल होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। खासकर यदि पहले से धूमपान करते हों और हाई ब्लड प्रेशर के शिकार हों तो यह खतरा और भी गंभीर हो जाता है। अध्ययन का यह निष्कर्ष जर्नल आफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में प्रकाशित हुआ है।
डेनमार्क की यूनिवर्सिटी आफ कोपेनहेगन में सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के प्रोफेसर और इस शोध के लेखक यूं-ही लिमो ने बताया कि हमारे शोध के इस निष्कर्ष के आधार पर लोगों में हार्ट फेल होने के जोखिम को कम करने के लिए उक्त कारकों को लेकर रणनीति बनाई जानी चाहिए ताकि उनका असर कम किया जा सके। यह अध्ययन डेनमार्क की नर्सो को लेकर 15-20 साल तक किया गया है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने 22 हजार से अधिक नर्सो का डाटा एकत्र किया। अध्ययन में 1993 या 1999 में शामिल नर्सो से प्रश्नावली भरवाए गए, जिसमें उनके बाडी मास इंडेक्स, जीवनशैली यथा- धूमपान, शराब पीने, शारीरिक सक्रियता, खानपान, पहले की स्वास्थ्य और कामकाज की स्थिति के बारे में सवाल किए गए थे। उसके बाद 2014 तक उनके स्वास्थ्य को लेकर सूचनाएं एकत्र की गईं, जिनमें हार्ट फेल के मामले पर ज्यादा फोकस किया गया।
वायु प्रदूषण का स्तर जानने के लिए पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 तथा नाइट्रोजन डाइआक्साइड का वार्षिक औसत लिया गया। यह आंकड़ा अध्ययन के सहभागियों के आवास के तीन किलोमीटर के दायरे में जुटाया गया। साथ ही शोर की तीव्रता को भी मापा गया।
पाया गया कि तीन साल तक फाइन पार्टिकुलेट मैटर में 5.1 यूजी प्रति घन मीटर की वृद्धि से हार्ट फेल होने की घटना में 17 फीसद वृद्धि हुई। जबकि नाइट्रोजन डाइआक्साइड में 8.6 यूजी प्रति घन मीटर की वृद्धि से हार्ट फेल्यर की घटना 10 फीसद बढ़ी।
वहीं, ट्रैफिक शोर में तीन साल में 9.3 डेसीबल की वृद्धि से हार्ट फेल्यर की घटनाएं 12 फीसद बढ़ी। पार्टिकुलेट मैटर की ऐसी स्थिति में घूमपान करने वालों में हार्ट फेल्यर का जोखिम 72 फीसद ज्यादा था।
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