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AIDS का मिल गया इलाज,अब नए जेनेटिक ट्रीटमेंट में केवल एक डोज से दूर होगी बीमारी

Renuka Sahu
16 Jun 2022 12:55 AM GMT
AIDS has been treated, now in the new genetic treatment, the disease will be overcome with only one dose
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फाइल फोटो 

वैज्ञानिकों ने एचआइवी-एड्स जैसी लाइलाज बिमारी का इलाज ढूंढ लिया है। इजरायल के वैज्ञानिकों ने एड्स के लिए एक अनूठा आनुवंशिक उपचार विकसित किया है, जिसकी केवल एक डोज से ही शरीर में वायरस को खत्म किया जा सकता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैज्ञानिकों ने एचआइवी-एड्स जैसी लाइलाज बिमारी का इलाज ढूंढ लिया है। इजरायल के वैज्ञानिकों ने एड्स (AIDS) के लिए एक अनूठा आनुवंशिक उपचार (Unique genetic treatment) विकसित किया है, जिसकी केवल एक डोज से ही शरीर में वायरस को खत्म किया जा सकता है। रिसर्चर्स की टीम ने इंजीनियरंग-प्रकार (बदलाव के जरिए) बी सफेद खून कोशिकाओं (type B white blood cells) द्वारा विकसित एक डोज (टीके) के साथ वायरस को निष्क्रिय करने में सफलता हसिल की है, जो एचाइवी (HIV) को खत्म करने वाले एंटीबाडी का उत्पादन करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करता है। बता दें कि वैज्ञानिकों ने जीन एडिटिंग टेक्नोलोजी (CRISPR) की मदद से इस वैक्सीन को तैयार किया है। इस शोध को नेचर मैगजीन में प्रकाशित किया गया है।

बी कोशिकाएं वायरस के खिलाफ एंटीबाडी उत्पन्न करता है
इजरायल के तेल अवीव विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार इस वैक्सीन के लैब के परिणाम अच्छे आए हैं। बता दें कि बी कोशिकाएं एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं हैं जो वायरस, बैक्टीरिया के खिलाफ एंटीबाडी उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार है। बता दें कि सीआरआइएसपीआर (CRISPR) एक जीन एडिटिंग टेक्नोलोजी है, जिसकी मदद से वायरस, बैक्टीरिया या इंसानों में सेल्स को जेनिटिकली परिवर्तित किया जा सकता है।
जानिए वैज्ञानिक ने क्या है
इस बिमारी से निपटने के लिए डा. आदि बार्जेल की अगुआई में वैज्ञानिकों की टीम ने बी सेल्स का इस्तेमाल किया है। डा आदि बार्जेल ने बताया कि यह वाइट सेल्स बोन मैरो में बनते हैं। इसके बाद परिपक्व होने पर खून के जरिए शरीर के हिस्सों में पहुंच जाते हैं। वैज्ञानिकों ने इस बी सेल्स के जीन में बदलाव करके एचआईवी वायरस के कुछ खास हिस्सों से संपर्क कराया। इससे उनमें कुछ बदलाव देखे गए। उसके बाद इन तैयार बी सेल्स का एचआईवी वायरस से मुकाबला कराया गया तो वायरस टूटने लगा।
डा बार्जेल ने कहा, 'इन बी सेल्स में एक खास बात ये भी देखी गई कि जैसे-जैसे एचआईवी वायरस ने अपनी ताकत बढ़ाई, ये भी उसी के हिसाब से अपनी क्षमता बढ़ाते चले गए और उनका मुकाबला किया। अब तक हम जैसे कुछ वैज्ञानिक ही शरीर के बाहर बी कोशिकाओं को बदलाव करने में सक्षम रहे हैं और शरीर में यह अध्ययन करने वालों में हमारी टीम से सबसे आगे रही है।'
बार्जेल ने बताया कि वर्तमान में, एड्स के लिए कोई अनुवांशिक उपचार (genetic treatment) नहीं है, इसलिए अनुसंधान के अवसर काफी विशाल हैं। उन्होंने आगे जानकारी देते हुए कहा कि रोगियों की स्थिति में जबरदस्त सुधार लाने की क्षमता के साथ एक बार इंजेक्शन के साथ वायरस को हराने के लिए अभिनव उपचार विकसित किया गया है। उन्होंने आगे बताया कि जब बदवाल की गई बी कोशिकाएं वायरस का सामना करती हैं, तो वायरस उन्हें विभाजित करने के लिए प्रोत्साहित करता है, इसलिए हम इसका मुकाबला करने के लिए बीमारी के मूल कारण का उपयोग कर रहे हैं।
बार्जेल ने आगे बताया कि इस अध्ययन के आधार पर हम उम्मीद कर सकते हैं कि आने वाले सालों में हम इस तरह से एड्स के लिए एक दवा का उत्पादन करने में सक्षम होंगे। संक्रमक बिमारियों के अलावा कैंसर जैसे र्वाइकल कैंसर, सिर और गर्दन कैंसर जैसे बीमारियों के इलाज में यह दवा लाभकारी हो सकती है।
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