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सीपीईसी प्राधिकरण निर्णय लेने की श्रृंखला के टूटने के कारण परियोजनाओं के तेजी से कार्यान्वयन में बाधा बन गया है।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। इस बीच चीन भी पाकिस्तान में निवेश कर उसकी माली हालत को सुधारने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, बीजिंग द्वारा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) शुरू करने के लगभग एक दशक बाद भी CPEC पाकिस्तान में कोई निवेश लाने में विफल रहा है। इस बात का दावा खुद पाकिस्तान की शहबाज सरकार में मंत्री अहसान इकबाल ने किया है।
पाकिस्तान में निवेश लाने में विफल रहा CPEC- अहसान इकबाल
योजना एवं विकास मंत्री अहसान इकबाल ने कहा है कि बीजिंग लगातार पाकिस्तान में बुनियादी ढांचे के विकास का समर्थन कर रहा है। उन्होंने कहा कि 2014 में राष्ट्रपति शी चिनपिंग ने इस्लामाबाद की अपनी यात्रा के दौरान सीपीईसी के तहत 46 बिलियन अमरीकी डालर का निवेश करने की घोषणा की थी। गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस प्राधिकरण के गठन के बाद सीपीईसी परियोजना में एक भी डॉलर का निवेश नहीं किया गया है।
2019 में हुआ था CPEC प्राधिकरण का गठन
बता दें कि CPEC प्राधिकरण का गठन 2019 में अपनी परियोजनाओं पर प्रगति और संबंधित विभागों के बीच समन्वय सुनिश्चित करने के लिए किया गया था। हालांकि, मंत्री ने सीपीईसी प्राधिकरण को फटकार लगाते हुए कहा कि स्थापना के तीन साल बाद से वह किसी भी निवेश को आकर्षित करने में सक्षम नहीं है। बुधवार को एक समाचार रिपोर्ट में उनके हवाले से सीपीईसी प्राधिकरण को भंग करने का आह्वान किया गया था।
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सीपीईसी प्राधिकरण को खत्म करने की दी मंजूरी
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि पाकिस्तान सरकार ने सैद्धांतिक रूप से विवादास्पद सीपीईसी प्राधिकरण को खत्म करने का फैसला किया है। क्योंकि इसकी योजना और विकास मंत्रालय बहु-अरब डालर की परियोजना से संबंधित मामलों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उनका यह बयान तब आया है जब पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित बाल्टिस्तान में जमीन के मुद्दों पर पाकिस्तानी सेना के खिलाफ स्थानीय विरोध प्रदर्शनों में तेजी देखी जा रही है। द नेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, CPEC प्राधिकरण को बंद करने का निर्णय प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की PML-N की पुरानी नीति के अनुरूप है, जो इसे स्थापित करने के पक्ष में नहीं थी।
प्राधिकरण को भंग कर देना चाहिए- अहसान इकबाल
द नेशन के अनुसार, योजना और विकास मंत्री अहसान इकबाल ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि यह सीपीईसी के हित में है कि प्राधिकरण को भंग कर दिया जाना चाहिए। मंत्री ने आगे कहा कि चीनी अधिकारियों की सहमति के बाद सीपीईसी प्राधिकरण अधिनियम निरस्त कर दिया जाएगा। इकबाल ने कहा कि सीपीईसी प्राधिकरण निर्णय लेने की श्रृंखला के टूटने के कारण परियोजनाओं के तेजी से कार्यान्वयन में बाधा बन गया है।
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