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इस्राएल और जॉर्डन के बीच हुआ समझौता, पानी के बदले बिजली

Subhi
22 Jan 2022 12:56 AM GMT
इस्राएल और जॉर्डन के बीच हुआ समझौता, पानी के बदले बिजली
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पश्चिम एशिया जलवायु संकट की कड़ी मार झेल रहा है. ऐसे में इलाके के देशों के बीच सहयोग अनिवार्य हो चला है. क्या इस्राएल और जॉर्डन के बीच हुआ अक्षय ऊर्जा और पानी की अदलाबदली का समझौता इस दिशा में पहला कदम माना जा सकता है?

पश्चिम एशिया जलवायु संकट की कड़ी मार झेल रहा है. ऐसे में इलाके के देशों के बीच सहयोग अनिवार्य हो चला है. क्या इस्राएल और जॉर्डन के बीच हुआ अक्षय ऊर्जा और पानी की अदलाबदली का समझौता इस दिशा में पहला कदम माना जा सकता है?जलवायु समझौते के तहत जॉर्डन, इस्राएल को सौर ऊर्जा देने की तैयारी कर रहा है और बदले में उसे इस्राएल से पानी मिलेगा. ये रजामंदी दोनों देशों के बीच एक जलवायु सहयोग सौदे का आधार है. दोनों देशों ने 1994 में शांति समझौता कर लिया था. इस साहसिक सौदे के तहत, पानी की कमी से जूझता जॉर्डन करीब 600 मेगावॉट सौर ऊर्जा, इस्राएल को निर्यात करेगा और इस्राएल उसे बदले में 20 करोड़ घन मीटर विलवणीकृत पानी मुहैया कराएगा. इस आशय के प्रस्ताव पर हुए दस्तखत के दौरान प्रकाशित हुई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक संयुक्त अरब अमीरात की एक कंपनी जॉर्डन में एक सौर फार्म बनाएगी, जिसमें इस्राएल को जोड़ने वाली ट्रांसमिशन लाइन भी होगी. यह काम 2026 तक पूरा होगा. इस बीच इस्राएल ने अपने भूमध्यसागरीय तट पर पानी के विलवणीकरण के पांच प्लांट चालू कर दिए हैं. दो और संयंत्र बनाने की योजना है. एक इस्राएली-जॉर्डन-फलिस्तीनी पर्यावरण एनजीओ- ईकोपीस मिडल ईस्ट के सह-संस्थापक और इस्राएली निदेशक गिडोन ब्रोमबर्ग कहते हैं, "दोनों देशों के लिए ये फायदे का सौदा है और जलवायु सुरक्षा पर लीक से हटकर बन रहे सोच का एक आदर्श नमूना भी." सहयोग के लिए आवश्यक जमीन तैयार करने और जलवायु परिवर्तन पर ज्यादा क्षेत्र केंद्रित नजरिया देने के लिए इस संगठन को श्रेय जाता है. दिसंबर 2020 में ईकोपीस ने "ग्रीन ब्लू डील फॉर द मिडल ईस्ट" नाम से एक विस्तृत योजना प्रकाशित की थी जिसमें सीमा पार जलवायु सुरक्षा की वकालत की गई है और जॉर्डन, इस्राएल और फलिस्तीनी भूभाग पर जोर दिया गया है

ईकोपीस के जॉर्डन में निदेशक याना अबु तालेब ने एक बयान में कहा, "यह समझौता हमारे क्षेत्र में देशों के बीच स्वस्थ अंतर्निर्भरता का एक नया मॉडल बना रहा है." नफ्थाली बेनेट की अगुआई में नयी इस्राएली सरकार ने जॉर्डन के साथ रिश्तों की बेहतरी को अपनी प्राथमिकता बनाया है. इससे पहले इस्राएल ने संयुक्त अरब अमीरात और दूसरे अरब देशों के साथ रिश्तों को सामान्य बनाने की दिशा में अब्राहम संधि पर हस्ताक्षर भी किए थे. सौर ऊर्जा के रूप में राजनीतिक लाभ? लाल सागर के एक छोटे से फैलाव से लगे जॉर्डन के पास लंबी तटीय रेखा नहीं हैं जिस पर वो खारे पानी को साफ करने वाले बहुत सारे प्लांट लगा सके. हुकूमत इसीलिए लंबे समय से पानी की खरीद के लिए इस्राएल पर निर्भर रहती आई है. तालेब इस नये समझौते को राजनीतिक हिसाब-किताब बराबर करने के एक नये अवसर के रूप में देखते हैं क्योंकि जॉर्डन के पास अब इस्राएल को वापस बेचने के लिए एक बेशकीमती चीज है और इसके चलते उसे इस्राएल पर एक राजनीतिक बढ़त भी हासिल हुई है. इले भी देखिए: क्योंकि इस्राएल ने 2030 तक अपनी 30 फीसदी ऊर्जा का उत्पादन नवीनीकृत स्रोतों से करने का लक्ष्य निर्धारित किया है और उसके पास बड़े स्तर के सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए पर्याप्त जगह भी नहीं है जबकि जॉर्डन के पास विशाल कड़क धूप वाली रेगिस्तानी जमीन है जो विशालकाय सौर ऊर्जा उपकरण लगाने के लिए बिल्कुल उपयुक्त है. तालेब ने डीडबल्यू को बताया, "जॉर्डन अक्षय ऊर्जा का इलाकाई अड्डा बन सकता है. वह पूरे इलाके को अक्षय ऊर्जा बेच सकता है ना कि सिर्फ इस्राएल को. और कल्पना कीजिए- हमें तमाम जलवायु सुरक्षा हासिल हो रही है, तमाम आर्थिक फायदे भी देश को मिल रहे हैं." जलवायु परिवर्तन से जूझता इलाका इस्राएल पहले ही जलवायु परिवर्तन को राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला बता चुका है. ब्रोमबर्ग के मुताबिक ये चिंता निश्चित रूप से इस समझ से बनी होगी कि खतरा पूरे इलाके को है. ब्रोमबर्ग कहते हैं, "इस्राएल खुद को एक अंतरराष्ट्रीय भूमिका में देखना चाहता है, जलवायु मुद्दों पर और, विश्व नेता के तौर पर.

उसे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को दिखाना भी है सो उन संकल्पों और प्रतिबद्धताओं का निर्वहन भी करना होगा." जलवायु परिवर्तन का गंभीर असर पहले ही इस्राएल और जॉर्डन के इर्दगिर्द समूचे मध्य पूर्व (पश्चिम एशिया) इलाके पर पड़ चुका है. तेल अवीव यूनिवर्सिटी में पर्यावरणीय अध्ययन के पोर्टर स्कूल के प्रमुख कोलिन प्राइस कहते हैं, "यह इलाका बाकी दुनिया की अपेक्षा तेजी से गरम हो रहा है. पिछले दो दशकों के दरमियान हमने देखा है कि समूचे भूमध्यसागर की तपिश में तेजी आई है और इस्राएल में भी. लिहाजा हमारी गर्मियां तो और गरम और लंबी होने लगी हैं." इस्राएल के मौसम विभाग के पेश किए हुए "एक गंभीर परिदृश्य" में इस सदी के अंत तक औसत तापमान में चार डिग्री सेल्सियस (7.2 डिग्री फारेनहाइट) की बढोतरी का आकलन किया गया है. उधर प्राइस के मुताबिक वृहद् भूमध्यसागरीय क्षेत्र में सदी के अंत तक बारिश में 20 फीसदी की गिरावट आ सकती है. वह कहते हैं, "यही तो हम कई देशों में देख रहे हैं- ग्रीस, इटली और स्पेन में. और इसकी वजह से जंगलों में आग की ज्यादा गंभीर घटनाएं होने लगी हैं." संयमित आशावाद की जरूरत जॉर्डन भी हाल के वर्षों में ताजा पानी की आपूर्ति में भारी किल्लत से जूझ रहा है. राजधानी अम्मान में नागरिक अपनी छतों पर लगे टैंकों तक पानी पहुंचाने के आदी हो चुके हैं. याना अबु तालेब कहते हैं, "पूरा इलाका स्वाभाविक रूप से पानी की कमी का शिकार है.

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