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अफगानिस्तान में तालिबान कब्जे के बाद 400 आम नागरिकों की मौत, किसी का सिर कलम हुआ, किसी को खूब टॉर्चर किया गया

Renuka Sahu
8 March 2022 5:21 AM GMT
अफगानिस्तान में तालिबान कब्जे के बाद 400 आम नागरिकों की मौत, किसी का सिर कलम हुआ, किसी को खूब टॉर्चर किया गया
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फाइल फोटो 

अफगानिस्तान में तालिबान के लौटने के बाद से अब तक कम से कम 400 नागरिकों की मौत हो गई है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान के लौटने के बाद से अब तक कम से कम 400 नागरिकों की मौत हो गई है. इनमें से 80 फीसदी से अधिक इस्लामिक स्टेट (Islamic State) से संबद्ध समूह द्वारा मारे गए हैं. इस बात की जानकारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में दी गई है. इससे पता चलता है कि तालिबान (Taliban) के लौटने के बाद से यहां चरमपंथ किस हद तक बढ़ गया है. यह तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद से इस तरह की पहली मानवाधिकार से जुड़ी रिपोर्ट है.

तालिबान ने बीते साल अगस्त महीने में 20 साल की जंग खत्म करते हुए वापसी कर रही अमेरिकी सेना के निकासी अभियान के दौरान कब्जा कर लिया था. उसी दिन से यहां इस्लामिक संगठन के हमले बढ़ गए हैं. ये देश अब महिलाओं, पत्रकारों और दूसरे कई समूहों के रहने लायक नहीं बचा है. रिपोर्ट में अगस्त 2021 के फरवरी के आखिरी महीने के बाद हुई नागरिकों की मौत के आंकड़े जुटाए गए हैं.
ISIS के हमलों में मरे 397 लोग
यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 397 नागरिकों की मौत इस्लामिक स्टेट खोरासान (आईएसआईएस-के) समूह के हमलों के कारण हुई है. ये वैश्विक आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट की अफगानिस्तान स्थित ब्रांच है. आतंकवादी समूह से संदिग्ध संबंधों वाले 50 से अधिक लोगों को भी इसी दौरान मारा गया है. इनमें से कुछ को प्रताड़ित किया गया, कुछ का सिर कलम किया गया और कई को सड़क किनारे फेंक दिया गया. जिसके चलते इनकी मौत हुई.
मानवाधिकार की स्थिति गंभीर
रिपोर्ट पेश करते हुए मानवाधिकार से जुडे़ अधिकारी ने कहा, 'कई अफगानों के लिए मानवाधिकार की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है.' आईएसआईएस-के पहली बार साल 2014 के अंत में पूर्वी अफगानिस्तान में दिखाई दिया था. ऐसा माना जाता है कि तालिबान के कब्जे के बाद इसकी ताकत बढ़ती गई है और हाल के महीनों में इसने कई आत्मघाती हमलों को अंजाम दिया है. इसमें पिछले अगस्त में काबुल हवाई अड्डे पर हुआ आत्मघाती हमला भी शामिल है. जिसमें 13 अमेरिकी सैनिकों सहित सैकड़ों आम लोग भी मारे गए थे. ये आम नागरिक तालिबान राज से बचने के लिए देश छोड़कर जाने की कोशिश में हवाई अड्डे पहुंचे थे.
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