विश्व

ISRO-DRDO के सफलता के बाद रोहतक की यह कंपनी NASA के लिए बनाएगी 'नट-बोल्ट'

Neha Dani
6 Oct 2020 6:00 AM GMT
ISRO-DRDO के सफलता के बाद रोहतक की यह कंपनी NASA के लिए बनाएगी नट-बोल्ट
x
रोहतक (Rohtak) की ऐरो फास्टनर (Fastener) प्राइवेट लिमिटेड के बने नट-बोल्ट |

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| ISRO-DRDO, Success, Rohtak, Company, NASA, Nut-Bolt,रोहतक (Rohtak) की ऐरो फास्टनर (Fastener) प्राइवेट लिमिटेड के बने नट-बोल्ट अब नासा के रॉकेट और अमेरिकन आर्मी के टैंक और दूसरे हथियारों में भी कसे जाएंगे. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और आठ साल से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) पहले से ही यहां के बने नट-बोल्ट का इस्मेमाल अपने यहां कर रहे हैं. अभी तक खास तरह के बने नट-बोल्ट के कच्चे माल पर रूस का कब्जा था. लेकिन एरो फास्टनर के मैनेजिंग डायरेक्टर जसमेर लाठर की कोशिशों ने रूस की निर्भरता को खत्म कर दिया है. हाल ही में नासा (NASA) और अमेरिकन आर्मी (American Army) को नट-बोल्ट की सप्लाई देने वाली अमेरिका की एक कंपनी और एरो फास्टनर के बीच कारोबारी करार हुआ है.

इंडियन नट-बोल्ट पर यहां पड़ी थी अमेरिकन कंपनी की निगाह-ऐरो फास्टनर प्राइवेट लिमिटेड के 44 वर्षीय मैनेजिंग डायरेक्टर जसमेर लाठर की कंपनी पिछले 5 साल से इसरो और 8 साल से डीआरडीओ के लिए नट-बोल्ट तैयार किए जाते हैं. अमेरिका की कंपनी के साथ हुए करार के बारे में बात करते हुए लाठर ने बताया, कुछ नए डिजाइन के फास्टनर (नट-बोल्ट) हमने तैयार किए हैं. फरवरी 2020 में रक्षा मंत्रालय ने रक्षा उपकरणों से संबंधित एक प्रदर्शनी का आयोजन किया था.

Rohtak, fastener company, ISRO, DRDO, NASA, American Army, indian army, रोहतक, फास्टनर कंपनी, इसरो, डीआरडीओ, नासा, अमेरिकी सेना, भारतीय सेना इसी कंपनी में बनते हैं इसरो, नासा और सेना के लिए नट-बोल्ट.


हमने भी वहां अपने नट-बोल्ट का स्टॉल लगाया था. इसी दौरान अमेरिका की कंपनी की निगाह हमारे प्रोडक्ट पर पड़ी. मैटल और मैटल में मिलाए जाने वाले खास तरह के कैमिकल के चलते उन्हें हमारे नट-बोल्ट बेहद पसंद आए. अभी कुछ वक्त पहले ही हमारी कंपनी और अमेरिकन कंपनी के साथ कागजी करार साइन हुआ है.

एरो फास्टनर ने रूस को पीछे छोड़ पीएम का सपना किया पूरा-जसमेर बताते हैं कि टैंक, मिसाइल, सेटेलाइट में उपयोग होने वाले फास्टनर के लिए केमिकल का मिश्रण बहुत मायने रखता है. रूस व अन्य कुछ देशों में सेना की डिमांड के मुताबिक रॉ-मैटेरियल मिलता है. लेकिन सप्लाई में परेशानी आती थी. रक्षा मंत्रालय की कई ऐसी योजनाएं थीं, जिनमें रूस से नट-बोल्ट या फिर रॉ-मैटेरियल के लिए आश्रित थे. रूस डिमांड के बावजूद तैयार नट-बोल्ट या फिर रॉ-मैटेरियल देरी से भेजता था. इस कारण योजनाएं समय पर पूरी करने में देरी होती. लेकिन अब हम अपने यहां तैयार कर रहे हैं. आत्मनिर्भर बनकर पीएम नरेन्द्र मोदी के सपने को भी पूरा किया.

कोरोना काल में वेंटिलेटर के लिए रक्षा मंत्रालय को दी नट-बोल्ट की सप्लाई-कोरोना संक्रमण काल में रक्षामंत्रालय की भारत इलेक्ट्रानिक्स कंपनी वेंटीलेटर बना रही थी. ऐसे में नट-बोल्ट की जरूरत भी थी. लॉकडाउन के जिस दौर में छोटी-बड़ी सैकड़ों कंपनियां बंद थी, तो ऐसे में एरो फास्टनर ने 30 हजार नट-बोल्ट व कुछ अन्य उपकरण तैयार कर रक्षामंत्रालय को सप्लाई दी. जसमेर लाठर सेना के लिए आठ लाख बोटिंग मशीनों के कल-पुर्जे भी तैयार कर चुके हैं.

Next Story