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नेपाल में छिड़ा सियासी संग्राम, विदेश मंत्री और सेनाध्यक्ष के बाद अब प्रधानमंत्री से होगी पूछताछ
Kajal Dubey
19 Jun 2022 9:20 AM GMT
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नेपाल में अमेरिका के साथ सैनिक गठबंधन का मुद्दा लगातार सुलगा हुआ है। इसको लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच तू तू-मैं मैं बढ़ती ही जा रही है। ये विवाद इस हफ्ते शुरुआत में भड़का, जब मीडिया में ये खबर आई कि अमेरिका नेपाल पर उसके स्टेट पार्टनरशिप प्रोग्राम (एसपीपी) में शामिल होने के लिए दबाव डाल रहा है। ये विवाद शुक्रवार को एक नए मुकाम पर पहुंच गया, जब नेपाल की प्रतिनिधि सभा की अंतरराष्ट्रीय संबंध समिति ने विदेश मंत्री नारायण खड़का और सेनाध्यक्ष जनरल प्रभुराम शर्मा को पूछताछ के लिए बुलाया। प्रतिनिधि सभा नेपाली संसद का निचला सदन है। नेपाली सेना की तरफ से अमेरिका को लिखे गए तीन पत्र मीडिया में लीक हुए हैँ। इन पत्रों से संकेत मिलता है कि अमेरिका के नेशनल गार्ड के साथ एसपीपी में शामिल होने की पहल नेपाली सेना की तरफ से की गई थी। उनमें सबसे पहला पत्र 27 अक्टूबर 2015 को लिखा गया था, जब केपी शर्मा ओली देश के प्रधानमंत्री थे।
विदेश मंत्री, सेना प्रमुख के बाद अब प्रधानमंत्री सवालों के घेरे में
शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय संबंध समिति की सुनवाई के दौरान विपक्षी कम्युनिस्ट ऑफ नेपाल (यूएमएल) और सत्ताधारी नेपाली कांग्रेस के सदस्यों ने इस बारे में एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए। यूएमएल के नेता और पूर्व विदेश मंत्री प्रदीप गयावली ने जनरल शर्मा से यह स्पष्ट बताने को कहा कि किस सरकार और प्रधानमंत्री ने सेना को ये पत्र लिखने के लिए अधिकृत किया था। लेकिन शर्मा ने इस पर कोई साफ उत्तर नहीं दिया। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि जिन तारीखों को पत्र लिखे गए, उन्हें तब की सरकार से मंजूरी मिलने के बाद ही भेजा गया। अब संसदीय समिति ने प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा को पेश होने को कहा है। इस दौरान उनसे पूछा जाएगा कि उनकी अगली अमेरिका यात्रा का एजेंडा क्या है। समिति के अध्यक्ष पवित्र निरौला खारेल ने कहा- 'हम सीधे प्रधानमंत्री से सुनना चाहते हैं कि उनकी अमेरिका यात्रा का मकसद क्या है।'
सबसे पहले पत्र पर तत्कालीन सेनाध्यक्ष राजेंद्र छेत्री का दस्तखत
सबसे पहले पत्र पर तत्कालीन सेनाध्यक्ष राजेंद्र छेत्री का दस्तखत है। इसमें नेशनल गार्ड के साथ एसपीपी में नेपाली सेना को करने का शामिल अनुरोध किया गया था। साथ ही कहा गया था कि इसके लिए नेपाल सरकार ने नेपाली सेना को अधिकृत किया है। सुनवाई के दौरान जनरल शर्मा ने कहा- 'तीन पत्र लिखे गए हैं। इसमें छिपाने की कोई बात नहीं है। ऐसा सरकार की मंजूरी से ही किया गया।'
सेनाध्यक्ष की तरफ से पुष्टि के बावजूद यूएमएल के नेता 2015 के पत्र के वास्तविक होने लेकर सवाल उठा रहे हैँ। सुनवाई के दौरान यूएमएल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ईश्वर पोखारेल ने पूछा कि इस पत्र पर तारीख हाथ से क्यों लिखी हुई है। इस पर जनरल शर्मा ने कहा कि सेना में ये चलन है कि जिस व्यक्ति ने दस्तखत किया हो, उसे हाथ से तारीख डालने की इजाजत दी जाती है।
विदेश मंत्री खड़का ने दावा किया कि पूर्व केपी शर्मा ओली ने इस पार्टनरशिप को पूरी तरह रद्द करने के बजाय उसे स्थगित किए रखा। इसके जवाब में गयावली और पोखारेल ने कहा कि जब ओली सरकार को ये बात मालूम हुई की एसपीपी अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति का हिस्सा है, तो उसने इसे ठंडे बस्ते मे डाल दिया। विदेश खड़का ने अपना ये बयान दोहराया कि नेपाल कभी किसी सैनिक गठबंधन का हिस्सा नहीं बना है और भविष्य में भी वह नहीं बनेगा।
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