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अरब क्रांति प्रभावित देशों के अमीरों ने खोले खाते
नई दिल्ली, एजेंसी। जिस स्विस बैंक के 18 हजार खातों से संबंधित आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद पाकिस्तान समेत विश्व के कई अन्य देशों में खलबली मची हुई है, उसमें अरब के कम से कम पांच शीर्ष नेताओं के भी खाते थे।ओसीसीआरपी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि क्रेडिट सुइस में ओमान के पूर्व सुल्तान कबूस बिन सैद के दो खाते थे, जिनमें से एक वर्ष 1971 में खोला गया था और उसमें 12.6 करोड़ डालर से अधिक राशि जमा थी। इराकी निर्वासितों की पश्चिम समर्थित पार्टी का संचालन करने वाले और अमेरिकी दखल के बाद इराक के प्रधानमंत्री बने अयाद अल्लवी ने भी पिछली सदी के आठवें दशक की शुरुआत में क्रेडिट सुइस में कई खाते खोले थे।
क्रेडिट सुइस के ग्राहकों में सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति हाफिज अल-असद के साले मोहम्मद मखलौफ भी शामिल थे, जिन्होंने राजनीतिक संबंधों का लाभ उठाते हुए तंबाकू, रियल एस्टेट व बैंकिंग क्षेत्र में कारोबारी साम्राज्य खड़ा किया और अपने बहनोई के बदले मोर्चा संभालते रहे। मिस्त्र के राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के लंबे समय तक सहयोगी रहे हुसैन सलेम तीन दशक से भी ज्यादा समय तक क्रेडिट सुइस के खाताधारक रहे। स्विस बैंक में उनके दर्जनों खाते थे, जिनका बैलेंस करोड़ों डालर में होता था।
सीरिया के पूर्व उप राष्ट्रपति अब्दुल हलीम खद्दाम ने सरकार में रहते हुए कंपनी के शेयरों, आलीशान भवनों व विदेशी बैंक खातों में जमा लाखों डालर के रूप में बड़ी कमाई की। एक पूर्व सीरियाई अधिकारी ने ओसीसीआरपी को बताया कि खद्दाम ने अपने सहयोगी हरीरी के जरिये लेबनान पर दबदबा कायम किया और इसके बदले मोटी रकम वसूली। उल्लेखनीय है कि जर्मन अखबार सुदेत्शे जितुंग ने अपनी रिपोर्ट में एक व्हिसल ब्लोअर के हवाले से पिछली सदी के चौथे दशक से लेकर वर्ष 2010 के बीच क्रेडिट सुइस में खोले गए 18 हजार से अधिक खातों से संबंधित आंकड़े सार्वजनिक किए हैं। इनमें अकेले पाकिस्तान के करीब 600 खातों का जिक्र है, जिनसे 1,400 लोग जुड़े हैं। सबसे प्रमुख नाम पूर्व खुफिया प्रमुख जनरल अख्तर अब्दुर रहमान खान का है। जांच की शुरुआत आर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) की तरफ से की गई।
अरब क्रांति प्रभावित देशों के अमीरों ने खोले खाते
ओसीसीआरपी की रिपोर्ट बताती है कि अरब क्रांति (सरकार विरोधी प्रदर्शन) प्रभावित देशों के अमीरों ने क्रेडिट सुइस में खाते खोले। इनमें मिस्त्र, लीबिया, सीरिया, जार्डन व अन्य देशों के अमीर शामिल हैं। खाताधारकों में राष्ट्राध्यक्ष, शाही परिवार के सदस्य, मंत्री, खुफिया प्रमुख व सरकार से जुड़े कारोबारी शामिल थे।
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