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इसमें अधिकांश जीवन रक्षक दवाइयां हैं। यह विमान शनिवार को काबुल पहुंचा।
काबुल और अफगानिस्तान के अन्य क्षेत्रों में तालिबान सरकार के आने के बाद तेल कंपनियों ने मनमानी शुरू कर दी है। पिछले एक हफ्ते में ईंधन की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। ये कंपनियां कीमत से ज्यादा दाम वसूल रही हैं। जनता ने तालिबान सरकार से इन कंपनियों पर अंकुश लगाने की अपील की है।
टोलो की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले हफ्ते गैस की कीमतों में 15 अफ्स प्रति किलो और पेट्रोल की कीमतों में चार अफ्स की वृद्धि हुई है। काबुल में दुकानदारों का दावा है कि ईंधन आयात करने वाली कंपनियों ने ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी की है, जिसके कारण ईंधन की कीमतों में वृद्धि हुई है।
जबरन वसूली को रोकने की मांग
टैक्सी चालक का काम करने वाले अब्दुल हादी का कहना है कि कभी-कभी पेट्रोल के लिए अधिक भुगतान करना पड़ रहा है। हम 320 अफ्स में 5 लीटर तेल खरीदते हैं, कभी-कभी इसके लिए हमें 330 अफ्स देने पड़ रहे हैं। आर्थिक स्थिति अभी अच्छी नहीं है। स्थानीय निवासियों ने तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार से ईंधन आयात करने वाली कंपनियों द्वारा जबरन वसूली को रोककर ईंधन शुल्क को कम करने के लिए कहा है।
कई संकटों से जूझ रहा अफगानिस्तान
देश से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी और अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के शासन का एक महीमना पूरा हो चुका है। काबुल के तालिबान केकब्जे और पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार गिरने के बाद देश कई संकटों से जूझ रहा है।
डब्ल्यूएचओ ने भेजी दवाइयां
एएनआइ के अनुसार, कतर के सहयोग से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अफगानिस्तान में 8.7 मीटिक टन दवाई की मदद भेजी है। इसमें अधिकांश जीवन रक्षक दवाइयां हैं। यह विमान शनिवार को काबुल पहुंचा।
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