कमजोर देशों को सस्ते कर्ज और विकास परियोजनाओं के जाल में फंसाने की चीनी नीति श्रीलंका के बाद अब बांग्लादेश में भी रंग दिखाने लगी है। इन दिनों बीजिंग खुद को कोरोना महामारी में ढाका का भरोसेमंद साझेदार साबित करने में जरूर लगा है पर असल में वहां चीनी कंपनियों की धोखाधड़ी और कर चोरी के मामले ड्रैगन की शोषणकारी व्यवस्था को सामने ला रहे हैं।
जानकारों के मुताबिक, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) की आड़ में चीनियों का भ्रष्टाचार बांग्लादेशी उद्यमों से लेकर सरकारी लेन-देन तक फैल चुका है।
श्रमिकों से भी अमानवीय बर्ताव
बीते साल ही कई मेगा प्रोजेक्टों में चीनी कंपनियों द्वारा पैसों के गबन के मामले खुलने पर बांग्लादेश ने चीन सरकार को ढांचा परियोजनाओं में पैसा न लगाने के लिए बाध्य किया।
इसके अलावा, बांग्लादेशी श्रमिकों के साथ चीनी कंपनियों के अमानवीय बर्ताव ने भी रोष उत्पन्न किया है। हाल ही में चीनी प्रोजेक्ट अधिकारी ने एक श्रमिक के कार्यस्थल पर ठीक से मास्क न पहनने पर जमकर पिटाई की।
श्रीलंका से सबक लेने की जरूरत
चीन चाहता है कि बांग्लादेश उसके बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) में भागीदारी निभाए और ढाका ने भी उसकी इस योजना में दिलचस्पी जाहिर की है। लेकिन दक्षिण मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि बांग्लादेश को श्रीलंका से सबक लेते हुए सोच-समझकर ड्रैगन से साझेदारी बढ़ानी चाहिए क्योंकि वहां भी चीन की मौजूदगी में व्यवस्थागत भ्रष्टाचार बढ़ रहा है तो जवाबदेही घटती जा रही है।