मुस्लिम धर्मगुरुओं (Muslim Scholars) में कोरोना वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) बनाए जाने और उसके वितरण के दौरान सूअर के मांस (Pork) से बने उत्पादों के इस्तेमाल को लेकर बहस छिड़ी हुई है. इसी कड़ी में अब कई ईसाई धर्मगुरुओं ने भी वैक्सीन के परीक्षण के लिए अबॉर्शन के जरिए निकाले गए भ्रूण की कोशिकाओं (fetal tissue from abortions) के इस्तेमाल पर ऐतराज जाहिर किया है. हालांकि रोमन कैथलिक ईसाइयों की शीर्ष संस्था वेटिकन (Vatican) ने इस मामले में स्पष्ट कर दिया है कि बीमारी से निपटने के मामले में इस तरह से बनी वैक्सीन का इस्तेमाल करना नैतिक रूप से स्वीकार्य (morally acceptable) है.
Vatican declares it 'morally acceptable' for Catholics to receive Covid vaccines based on research that used tissue from abortions https://t.co/ADK7zrHOK0
— Daily Mail Online (@MailOnline) December 22, 2020
डेली मेल की खबर के मुताबिक वेटिकन ने एक बयान जारी कर कहा है कि वैक्सीन बनाए जाने की प्रक्रिया में अधार्मिक चीज़ों का इस्तेमाल किया गया है लेकिन एक गंभीर बीमारी से बचने के लिए इसका इस्तेमाल नैतिक रूप से ठीक है. वैक्सीन के रिसर्च और परीक्षण के दौरान भ्रूण से मिले टिशु का इस्तेमाल किया जाता है और ऐसे भ्रूण अक्सर अबॉर्शन कराने के बाद ही प्राप्त होते हैं. वेटिकन के watchdog office for doctrinal orthodoxy को बीते कई महीनों से दुनिया भर के चर्चों से इस तरह के सवाल मिल रहे थे जिसके बाद उन्होंने अब स्थिति स्पष्ट कर दी है. वेटिकन ने स्पष्ट कहा है कि बिशप, कैथोलिक समूह और अन्य धर्म से जुड़े लोग वैक्सीनेशन के लिए अन्य लोगों को भी प्रेरित करें. वेटिकन ने कहा कि हम सिर्फ वैक्सीन को समर्थन दे रहे हैं इसका मतलब ये न समझा जाए कि चर्च का रुख अबॉर्शन को लेकर नरम हो रहा है.