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मुस्लिम के बाद ईसाई धर्मगुरुओं ने भी वैक्सीन पर जताई चिंता, वेटिकन ने दिया यह बयान

Neha Dani
22 Dec 2020 6:15 AM GMT
मुस्लिम के बाद ईसाई धर्मगुरुओं ने भी वैक्सीन पर जताई चिंता, वेटिकन ने दिया यह बयान
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मुस्लिम धर्मगुरुओं में कोरोना वैक्सीन बनाए

मुस्लिम धर्मगुरुओं (Muslim Scholars) में कोरोना वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) बनाए जाने और उसके वितरण के दौरान सूअर के मांस (Pork) से बने उत्पादों के इस्तेमाल को लेकर बहस छिड़ी हुई है. इसी कड़ी में अब कई ईसाई धर्मगुरुओं ने भी वैक्सीन के परीक्षण के लिए अबॉर्शन के जरिए निकाले गए भ्रूण की कोशिकाओं (fetal tissue from abortions) के इस्तेमाल पर ऐतराज जाहिर किया है. हालांकि रोमन कैथलिक ईसाइयों की शीर्ष संस्था वेटिकन (Vatican) ने इस मामले में स्पष्ट कर दिया है कि बीमारी से निपटने के मामले में इस तरह से बनी वैक्सीन का इस्तेमाल करना नैतिक रूप से स्वीकार्य (morally acceptable) है.

डेली मेल की खबर के मुताबिक वेटिकन ने एक बयान जारी कर कहा है कि वैक्सीन बनाए जाने की प्रक्रिया में अधार्मिक चीज़ों का इस्तेमाल किया गया है लेकिन एक गंभीर बीमारी से बचने के लिए इसका इस्तेमाल नैतिक रूप से ठीक है. वैक्सीन के रिसर्च और परीक्षण के दौरान भ्रूण से मिले टिशु का इस्तेमाल किया जाता है और ऐसे भ्रूण अक्सर अबॉर्शन कराने के बाद ही प्राप्त होते हैं. वेटिकन के watchdog office for doctrinal orthodoxy को बीते कई महीनों से दुनिया भर के चर्चों से इस तरह के सवाल मिल रहे थे जिसके बाद उन्होंने अब स्थिति स्पष्ट कर दी है. वेटिकन ने स्पष्ट कहा है कि बिशप, कैथोलिक समूह और अन्य धर्म से जुड़े लोग वैक्सीनेशन के लिए अन्य लोगों को भी प्रेरित करें. वेटिकन ने कहा कि हम सिर्फ वैक्सीन को समर्थन दे रहे हैं इसका मतलब ये न समझा जाए कि चर्च का रुख अबॉर्शन को लेकर नरम हो रहा है.

मुस्लिम धर्मगुरु भी असमंजस में
उधर दुनियाभर के इस्लामिक धर्मगुरुओं के बीच इस बात को लेकर असमंजस है कि सुअर के मांस का इस्तेमाल कर बनाए गए कोविड-19 टीके (COVID-19 vaccine Halal certification) इस्लामिक कानून के तहत जायज हैं या नहीं. वैक्सीन को बनाने और वितरण के दौरान सूअर के मांस के इस्तेमाल को लेकर मुस्लिम समुदाय के धर्मगुरुओं के बीच बहस छिड़ी हुई है. टीकों के भंडारण और ढुलाई के दौरान उनकी सुरक्षा और प्रभाव बनाए रखने के लिये सूअर के मांस (Pork) से बने जिलेटिन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है. कुछ कंपनियां सूअर के मांस के बिना टीका विकसित करने पर कई साल तक काम कर चुकी हैं.


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