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लिथुआनिया के बाद स्लोवेनिया ने चीन के खिलाफ खड़े होने का दिखाया साहस

Gulabi
26 Jan 2022 3:43 PM GMT
लिथुआनिया के बाद स्लोवेनिया ने चीन के खिलाफ खड़े होने का दिखाया साहस
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स्लोवेनिया ने चीन के खिलाफ खड़े होने का दिखाया साहस
लास्को (स्लोवेनिया), एएनआइ। लिथुआनिया के बाद स्लोवेनिया यूरोपीय संघ का दूसरा ऐसा सदस्य देश है जिसने चीन के खिलाफ खड़े होने का साहस दिखाया है। साथ ही इस मध्य यूरोपीय देश ने खुले तौर पर उसके आक्रामक राजनीतिक और आर्थिक कदमों के खिलाफ अपना रुख स्पष्ट करते हुए ताइवान में अपना प्रतिनिधि कार्यालय स्थापित कर लिया है। लिथुआनिया और स्लोवेनिया नार्थ एटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन (नाटो) के सदस्य हैं।
इन दोनों देशों ने ही अमेरिकी के करीबी सहयोगी ताइवान में अपने प्रतिनिधि कार्यालय स्थापित करने का फैसला लिया है। उनके इस कदम से चीन स्तब्ध और गुस्से में है। सिंगापुर पोस्ट के अनुसार, स्लोवेनिया के प्रधानमंत्री जनेज जनसा ने ताइवान को लेकर अपनी योजना को सार्वजनिक कर दिया और कहा कि वह चार या पांच बार ताइवान गए हैं। उनका कहना है कि ताइवानी लोगों को अपना भविष्य तय करने का पूरा हक है।
स्लोवेनिया के प्रधानमंत्री जनेज जनसा ने एक इंटरव्यू में कहा कि ताइवान एक लोकतांत्रिक देश है जो अंतरराष्ट्रीय लोकतांत्रिक मानकों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का आदर करता है। दूसरी ओर, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि चीन इस कदम से स्तब्ध है और बहुत सख्ती से इसका विरोध करता है।
उल्‍लेखनीय है कि चीन ताइवान पर पूर्ण संप्रभुता का दावा करता है जबकि दोनों देश कई दशकों से अलग-अलग शासित हैं। ताइवान चीन के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है जिसमें लगभग दो करोड़ 40 लाख लोगों रहते हैं। ताइवान ने अमेरिका सहित अन्य देशें के साथ रणनीतिक संबंधों को बढ़ाकर चीनी आक्रामकता का मुकाबला किया है। ताइवान की अमेरिका से नजदीकियों का चीन की ओर से बार-बार विरोध किया जाता रहा है। चीन धमकी दे चुका है कि ताइवान की आजादी का मतलब युद्ध है।
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