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अमेरिकी स्पेस एजेंसी (NASA) के रोवर परसिवरेंस (Rover Perseverance ) मंगल ग्रह |
अमेरिकी स्पेस एजेंसी (NASA) के रोवर परसिवरेंस (Rover Perseverance ) मंगल ग्रह (Mars Planet) पर सफलतापूर्वक लैंड कर चुका है. लैंड करते ही उसने पहली तस्वीर भेजी. इसके बाद उसने दूसरी तस्वीर भी भेजी.
परसिवरेंस रोवर धरती से टेकऑफ करने के 7 महीने बाद मंगल ग्रह पर पहुंचा है. भारतीय समय के अनुसार गुरुवार-शुक्रवार रात 2 बजकर 25 मिनट पर रोवर ने लाल ग्रह की सतह पर लैंडिंग (Landing) की. मंगल ग्रह पर सफल लैंडिंग के बाद अब नासा मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं की तलाश करेगा.
नासा के कार्यकारी प्रमुख स्टीव जुर्स्की (Steve Jurczyk) ने परसिवरेंस की सफल लैंडिंग पर खुशी जाहिर की. उन्होंने कहा, "यह अद्भुत है. कोरोना काल ने रोवर की मंगल ग्रह पर लैंडिंग के काम को और भी अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया था. परसिवरेंस 'भविष्य के रोवर मिशन के लिए स्काउट' के रूप में काम करेगा."
I can confirm – @NASAJPL is a great place. I have a new home now, but I'll always remember my California roots. https://t.co/BF6aDZwsQH
— NASA's Perseverance Mars Rover (@NASAPersevere) February 19, 2021
इस मिशन में सफल बनाने में भारतीय अमेरिकी वैज्ञानिक डॉक्टर स्वाति मोहन ने बड़ी भूमिका निभाई है. उन्होंने बताया कि, "मंगल ग्रह पर टचडाउन की पुष्टी हो गई है. अब रोवर परसिवरेंस यहां जीवन के संकेतों की तलाश शुरू करेगा." मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रोवर परसिवरेंस के मंगलग्रह पर लैंड होने के दौरान स्वाति मोहन जीएन एंड सी सबसिस्टम और पूरी प्रोजेक्ट टीम के साथ कॉरडिनेट कर रही थीं.
मंगल पर मीथेन के गुबार का पता चला
And another look behind me. Welcome to Jezero Crater. #CountdownToMars pic.twitter.com/dbU3dhm6VZ
— NASA's Perseverance Mars Rover (@NASAPersevere) February 18, 2021
हाल ही में मंगल के उत्तरी हिस्से में मीथेन के गुबार का पता चला है, जो बहुत ही रूचि का विषय बन गया है क्योंकि इसकी जैविक उत्पति होने की संभावना है. साथ ही, अन्य पहलू भी हो सकते हैं. मीथेन (सीएच4) पृथ्वी के वायुमंडल में गैस के रूप में पाया जाता है, पृथ्वी पर 90 प्रतिशत से अधिक मीथेन सजीव प्राणियों एवं वनस्पति द्वारा पैदा किया जाता है.
मंगल ग्रह के मामले में फरवरी का महीना अहम माना जा रहा है क्योंकि अमेरिका, चीन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अभियान विभिन्न चरणों में हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि अरबों साल पहले लाल ग्रह पर जीवन की मौजूदगी हो सकने के बारे में वहां कुछ संकेत संरक्षित होंगे. आठ देशों ने मंगल पर अपने अभियान भेजे हैं.
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