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दोहा वार्ता के बाद अमेरिका ने कहा- शब्दों से नहीं बल्कि कार्यों से आंका जाएगा तालिबान

Renuka Sahu
11 Oct 2021 3:45 AM GMT
दोहा वार्ता के बाद अमेरिका ने कहा- शब्दों से नहीं बल्कि कार्यों से आंका जाएगा तालिबान
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फाइल फोटो 

अफगानिस्तान से सैन्य वापसी के बाद अमेरिका और तालिबान के बीच शनिवार और रविवार को दोहा में पहली बार बातचीत हुई.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान (Afghanistan) से सैन्य वापसी के बाद अमेरिका (US) और तालिबान (Taliban) के बीच शनिवार और रविवार को दोहा में पहली बार बातचीत हुई. दोहा वार्ता के बाद अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक अधिकारिक बयान में कहा कि तालिबान को उसके शब्दों से नहीं, बल्कि उसके द्वारा किए गए कामों के आधार पर आंका जाएगा.

विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, 'अमेरिका के एक अंतर-एजेंसी प्रतिनिधिमंडल ने तालिबान के वरिष्ठ प्रतिनिधियों के साथ दोहा में बात की. दोनों देशों ने सुरक्षा और आतंकवाद की चिंताओं के साथ ही अमेरिकी नागरिकों और हमारे अफगान भागीदारों के लिए सुरक्षित यात्रा पर ध्यान केंद्रित किया. मानवाधिकार मुद्दे पर भी बात की, जिसमें अफगान समाज के सभी पहलुओं में महिलाओं और लड़कियों की सार्थक भागीदारी शामिल है.'
विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने आगे कहा, 'दोनों पक्षों ने सीधे अफगान लोगों को मजबूत मानवीय सहायता के संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रावधान पर भी चर्चा की. चर्चा स्पष्ट और पेशेवर थी जिसमें अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने दोहराया कि तालिबान को उसके कार्यों पर ही नहीं, बल्कि उसके शब्दों पर भी आंका जाएगा.'
'समावेशी सरकार बनाने को तैयार है तालिबान'
दोहा में तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि तालिबान अफगानिस्तान में समावेशी सरकार बनाने के लिए तैयार है, लेकिन चयनात्मक सरकार बनाने के लिए तैयार नहीं है. खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार के लिए अमेरिका के दबावों के जवाब में, शाहीन ने कहा कि उन्होंने अपनी कार्यवाहक सरकार में जातीय अल्पसंख्यकों को शामिल किया है और जल्द ही इसमें महिलाओं को शामिल किया जाएगा.
शाहीन ने कहा कि अमेरिका को अफगान लोगों की इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए. यह टिप्पणी कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मोटाकी के नेतृत्व में तालिबान के प्रतिनिधिमंडल के दोहा में एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात के बाद आई है.
अमेरिका का कहना है कि तालिबान ने अमेरिकी नागरिकों को बाहर निकालने में काफी हद तक सहयोग किया है. अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, अभी लगभग 100 लोग हैं, जो मुख्य रूप से अफगानिस्तान में मूल रूप से अमेरिकी नागरिक हैं, जिन्होंने अफगानिस्तान छोड़ने पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया है.


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