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जिबूती के बाद अब हिंद महासागर में ड्रैगन बनाएगा एक और सैनिक अड्डा?

Kajal Dubey
9 Jun 2022 2:53 PM GMT
जिबूती के बाद अब हिंद महासागर में ड्रैगन बनाएगा एक और सैनिक अड्डा?
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चीन ने सात साल पहले जिबूति में देश के बाहर अपना पहला सैनिक अड्डा बनाया था। जिबुती हिंद महासगार में उस स्थल पर है, जहां से अदन की खाड़ी और लाल सागर अलग होते हैं। समुद्री परिवहन के लिहाज से इस जगह को बहुत अहम माना जाता है।
अब ये चर्चा तेज है कि चीन पश्चिमी अफ्रीका में अपना एक और सैनिक अड्डा बनाने की कोशिश में है। इस बारे में पहली सूचना इस वर्ष मार्च में आई, जब अमेरिकी सीनेट की सशस्त्र सेना समिति में इस बारे में जानकारी दी गई। इसमें कहा गया कि वहां सैनिक अड्डा तैयार होने के बाद चीन अफ्रीका और पश्चिम एशिया तक अपनी ताकत का प्रसार कर सकेगा। साथ ही इस अड्डे का असर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा संतुलन पर भी पड़ेगा।
कई क्षमताओं से किया लैस
पश्चिमी सूत्रों से आई खबरों के मुताबिक चीन ने जिबुती में अपने सैनिक अड्डे को अब काफी विकसित कर लिया है। इसे कई तरह की क्षमताओं से लैस किया गया है। अब इस सैनिक अड्डे पर सैनिकों को तैनाती के लिए भेजने, जहाजों में ईंधन भरने, और नौ सैनिक गतिविधियों को सहायता पहुंचाने जैसी तमाम किस्म की सुविधाएं मौजूद हैं।
जिबुती में जब चीन ने सैनिक अड्डा बनाया था, तब उसने कहा था कि यह कारोबार की सुरक्षा के लिए है। लेकिन अब यह इतना बड़ा अड्डा हो चुका है, जहां से चीनी नौ सेना के जहाजों और पनडुब्बियों को संचालित किया जा सकता है।
रक्षा संबंधी वेबसाइट स्ट्रेटन्यूज ग्लोबल की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2013 में चीन में शी जिनपिंग के राष्ट्रपति बनने के बाद देश के बाहर सैनिक अड्डे बनाने की नीति तैयार की गई। उसी के तहत जिबुती प्रशासन से चीन ने बातचीत की। इस दौरान जिबुती में बड़े पैमाने पर निवेश की पेशकश चीन ने की। इसके एवज में जिबुती प्रशासन ने वहां सैनिक अड्डा बनाने की इजाजत चीन को दे दी।
अब चीन अपने अगले सैनिक अड्डे के निर्माण की योजना को आगे बढ़ा रहा है। अप्रैल 2021 में अफ्रीका में तैनात एफ्रीकॉम (यूएस अफ्रीका कमांड) के कमांडर जनरल स्टीफन टाउनसेंड ने अमेरिकी सीनेट की सशस्त्र सेना समिति के सामने गवाही दी थी। उसमें उन्होंने अफ्रीका में अपने पांव फैलाने की चीन की महत्त्वाकांक्षी योजना का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि चीन अफ्रीका में ऐसे अड्डे भी बनाना चाहता है, जहां लड़ाकू विमानों को तमाम तरह की सुविधाएं दी जा सकें।
कोमोरोस से बनाया संपर्क
अब खबर आई है कि जिबुती की तरह ही चीन ने दक्षिण हिंद महासागर में स्थित द्वीप कोमोरोस से संपर्क बनाया है। संभवतः उसके सामने भी चीन ने बड़े पैमाने पर निवेश की पेशकश की है। कोमोरोस मोजाम्बिक चैनल के पास है। इसकी भौगोलिक स्थिति को रणनीतिक रूप से बहुत अहम समझा जाता है। यह उस जगह पर है, जहां से दुनिया के करीब 30 फीसदी टैंकर गुजरते हैं।
बताया जाता है कि कोमोरोस सरकार ने 2018 में चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट में शामिल होने के करार पर दस्तखत किए थे। उसके बाद से दोनों देशों के संबंध गहरे होते चले गए। खबरों के मुताबिक अब कोमोरोस चीन के सैनिक अड्डे की मेजबानी करने को तैयार हो गया है।
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