कोविड-19 का डेल्टा स्वरूप दक्षिण अफ्रीका के आर्थिक हब गाउतेंग प्रांत में संक्रमण के रोज बढ़ रहे मामलों के लिए जिम्मेदार हो सकता है। एक प्रमुख महामारी विशेषज्ञ ने यह बात कही है। वायरस का डेल्टा स्वरूप भारत सहित कम से कम 85 देशों में पाया गया है।
विट्स विश्वविद्यालय में टीके एवं संक्रामक रोग विश्लेषणात्मक अनुसंधान ईकाई के निदेशक शबीर माधी ने समाचार चैनल 'ईएनसीए' से कहा कि राष्ट्रीय संचारी रोग संस्थान (एनआईसीडी) अगले हफ्ते आधिकारिक आंकड़ें जारी करेगा लेकिन ऐसी आशंका है कि डेल्टा स्वरूप के कारण संक्रमण बढ़ा है जो बीटा स्वरूप के मुकाबले 60 प्रतिशत अधिक संक्रामक है। बीटा स्वरूप सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में ही पाया गया था।
माधी की ये टिप्पणियां तब आयी हैं जब गाउतेंग में अस्पतालों में बिस्तरों की कमी हो गई है और शवदाहगृह भी कम पड़ रहे हैं, जिससे खासतौर पर असर भारतीय समुदाय पर पड़ा है। माधी ने शनिवार को कहा कि पहली दो लहरों में संक्रमित हो चुके लोगों के फिर से संक्रमित होने का अब भी खतरा है लेकिन वे गंभीर रूप से बीमार पड़ने से बचे रहेंगे।
एनआईसीडी ने शुक्रवार को कहा कि देशभर में कोविड-19 के 18,762 नए मामले आए और 215 लोगों की मौत हुई। इसमें से 63 प्रतिशत मामले गाउतेंग प्रांत में सामने आए।
माधी ने कहा कि तीसरी लहर पहले की लहरों के मुकाबले अधिक संक्रामक है और इसमें ज्यादा लोगों की मौत हुई हैं। उन्होंने कहा कि सभी चीजें इस ओर इशारा कर रही हैं कि हम संभवत: नए स्वरूप खासतौर से डेल्टा स्वरूप के संक्रमण से निपट रहे हैं। इसकी संक्रामक दर पूरी तरह अप्रत्याशित है और सबसे खराब बात यह है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या अभी चरम पर नहीं पहुंची है। यह लहर अगले दो से तीन हफ्तों में चरम पर पहुंचेगी।
उन्होंने संक्रमण की संख्या कम करने के लिए लोगों के बड़े पैमाने पर एकत्रित होने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। गाउतेंग में शिक्षकों और छात्रों के तेजी से कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने के कारण कई स्कूलों को बंद कर दिया गया है। सरकार ने बुधवार को शिक्षकों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू किया।