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कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है।
कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है। दुनिया में हर रोज कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का ग्राफ ऊपर की ओर जाता हुआ दिखाई दे रहा है। इस बीच दुनियाभर के देशों में कोरोना वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन को एडवांस में खरीदने की होड़ मची है। वहीं यूरोपीय संघ के देश कोरोना संक्रमण की उच्च दर और टीकाकरण की धीमी रफ्तार से जूझ रहे हैं।
यूरोपियन नेताओं ने टीकाकरण की धीमी रफ्तार को लेकर हो रहे आलोचनाओं के बीच बुधवार को अपने 45 करोड़ लोगों को कोरोना जैसी खतरनाक महामारी से निजात दिलाने के लिए मॉडर्ना की वैक्सीन को भी मंजूरी दे दी है। इस मामले में यूरोपीय संघ ने ब्रिटेन और अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है। यूरोपीय संघ की औषधि एजेंसी ने फाइजर-बायोएनटेक की कोरोना वैक्सीन को तो पहले ही मंजूरी दे दी थी।
एक तीसरा टीका, ऑक्सफोर्ड / एस्ट्राजेनेका, जिसे पहले से ही ब्रिटेन में इस्तेमाल किया जा रहा है, अभी यूरोपीय संघ में समीक्षा की जा रही है जबकि ब्रिटेन को मॉडर्ना को मंजूरी देने की कोई जल्दी नहीं है क्योंकि उसे स्टॉक के वसंत (मार्च-जून) तक पहुंचने की उम्मीद नहीं है।
यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेन ने कहा कि 'मॉडर्ना की वैक्सीन यूरोपीय संघ के देशों को जल्द ही मिल जाएगा। कई देशों में अटकाने वाले रोलआउट के बीच यह वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए तेजी से काम हो रहा है।'
मंजूरी देने पर विचार करने के लिए बुधवार को एजेंसी की बैठक हुई, जिसमें यह फैसला लिया गया। यह बैठक ऐसे समय पर हुई, जब यूरोप के कई देशों में संक्रमण के मामलों में काफी बढ़ोतरी हो रही है। इसके अलावा उन्हें धीमी गति से टीकाकरण के चलते भी काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। माना जा रहा है कि मॉडर्ना के टीके को मंजूरी मिलने के बाद यूरोपीय संघ के देशों को इस महामारी से निपटने में काफी मदद मिलेगी।
गौरतलब है कि यूरोपीय संघ के 27 देशों में कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण की शुरुआत 27 दिसंबर से हो चुकी है। जबकि नीदरलैंड ने बुधवार से अपने कोरोना टीकाकरण अभियान की शुरुआत की, जिसमें नर्सिंग होम स्टाफ और अस्पतालों में फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन के लिए प्राथमिकता दी गई। यूरीपीय संघ के 27 देशों में कोरोना वायरस संक्रमण के कम से कम 1.6 करोड़ से ज्यादा मामले सामने आए हैं और संक्रमण से करीब साढ़े तीन लाख लोगों की जान चली गई है।
यूरोपीय संघ की औषधि एजेंसी के कार्यकारी निदेशक एमर कुक ने कहा, 'यह टीका हमें मौजूदा महामारी को खत्म करने के लिए एक और उपकरण प्रदान करता है। यह सभी के प्रयासों और प्रतिबद्धता का ही परिणाम है कि हमें दूसरी वैक्सीन भी मिल गई।'
दरअसल, नीदरलैंड की सरकार को टीकाकरण देर से शुरू होने के लिए काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। प्रधानमंत्री मार्क रुटे ने मंगलवार को एक बहस में सांसदों को बताया कि अधिकारियों ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका द्वारा बनाई गई वैक्सीन की तैयारी पर ध्यान केंद्रित किया था, जिसे अभी तक यूरोपीय संघ में उपयोग के लिए मंजूरी नहीं मिली है।
यूरोपीय संघ से पहले इस्राइल भी मॉडर्ना की वैक्सीन को मंजूरी दे चुका है। इससे पहले उसने भी फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन को मंजूरी दी थी, जिसका इस्तेमाल टीकाकरण अभियान में किया जा रहा है।
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