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तालिबान को भी चाहिए अमेरिका में एक लॉबिस्ट
पंजशीर नेता (Panjshir leader) और नॉर्दर्न रेसिस्टेंस फ्रंट (Northern Resistance Front) के चेहरे अहमद मसूद (Ahmad Massoud) ने इस हफ्ते अमेरिका (America) में एक लॉबिस्ट (lobbyist) को नियुक्त किया है. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बुधवार शाम को न्याय विभाग के समक्ष कॉन्ट्रैक्ट दायर किया गया और लॉबी का काम जनता की भलाई के लिए बिना पैसे लिए किया जाएगा. अहमद मसूद ने लॉबिस्ट के तौर पर रॉबर्ट स्ट्राइको (Robert Stryk) को नियुक्त किया है.
रॉबर्ट स्ट्राइको तालिबान विरोधी ताकत का समर्थन करेंगे. गौरतलब है कि नॉर्दर्न रेसिस्टेंस फ्रंट आत्मसमर्पण नहीं करने और समानांतर सरकार का ऐलान करने के अपने फैसले पर टिका हुआ है. पंजशीर घाटी (Panjshir valley) में जो कुछ हो रहा है उस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय खामोश है और दुनियाभर के देश NRF को मान्यता देने की बात से कोसों दूर हैं. ऐसे में लॉबिस्ट रॉबर्ट स्ट्राइको इस दिशा में अपना काम करेंगे. वहीं, न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि तालिबान भी लॉबिस्ट के जरिए अपना प्रतिनिधित्व तलाशने में जुटा है, ताकि अंतरराष्ट्रीय फंडिंग और वैधता मिल सके.
निर्वासन में सरकार बनाने की भी हो रही है चर्चा
रिपोर्ट में कहा गया है कि वाशिंगटन (Washington) में एक्टिव और वित्तपोषित अफगान समूह 'अफगानिस्तान-अमेरिका डेमोक्रेटिक पीस एंड प्रॉस्पेरिटी काउंसिल' निर्वासन में सरकार बनाने की संभावना पर चर्चा कर रहा है. ऐसे में ये सवाल उठ रहा है कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद ये परिषद अब क्या करेगी? रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ये अब तालिबान के खिलाफ विरोध को बढ़ावा देने का काम करेगी. रॉबर्ट स्ट्राइको ने पहले भी इस तरह के मामलों में प्रतिनिधित्व किया है. उन्होंने कांगो के पूर्व राष्ट्रपति जोसेफ कबीला और वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो का प्रतिनिधित्व किया है.
लॉबिस्ट का क्या काम होगा?
पंजशीर के प्रवक्ता अली नाजारी ने माना है कि हाल ही में नया कॉन्ट्रैक्ट हुआ है. अभी तक घाटी में संघर्ष चल रहा है. ऐसे में लॉबिंग का उद्देश्य हथियारों सहित भौतिक सहायता मांगना है. साथ ही, NRF तालिबान को मान्यता न देने के लिए अमेरिका की पैरवी भी करेगा. पंजशीर घाटी में अभी भी तालिबान लड़ाकों संग संघर्ष जारी है. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अहमद मसूद और अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह (Amrullah Saleh) अभी भी पंजशीर (Panjshir) में हैं. तालिबान ने पिछले महीने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा जमाया था और सितंबर के पहले हफ्ते में अंतरिम सरकार का ऐलान किया.
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