चीन में साम्यवादी सरकार के गठन की वर्षगांठ अक्टूबर में होती है और इसी के साथ ताइवान के साथ उसका विवाद भी भड़क जाता है. इस साल चीन ने तो ऐसे तेवर दिखाए कि युद्ध जैसी नौबत दिखने लगी पर युद्ध चीन के फायदे में नहीं है.पूर्व और दक्षिणपूर्व एशिया के देशों में वायांग या कटपुतली का खेल बड़ा मशहूर है. लोककथाओं पर आधारित इन नाटकों का मंचन कुछ इस तरह होता है कि देखने वाला परदे पर घूमती परछाईयों की गतिविधियों में इस कदर डूबने लगता है मानो पल भर के लिए वह सब सच ही हो. और अगर बैकग्राउंड संगीत भी नाटकीय हो तो फिर क्या कहने? बीते दो हफ्तों में चीन और ताइवान के बीच सामरिक जोर-आजमाइश भी कुछ हद तक वायांग के खेल जैसी ही लगी. दुनिया भर के लोगों को यही लगा कि चीन और ताइवान के बीच युद्ध अब शुरू हुआ कि तब. दोनों तरफ के नेताओं के वक्तव्य और वायु सेनाओं की गतिविधियां ही ऐसी थीं कि इस तरह की अटकलों का बाजार गर्म होना लाजमी था. दरअसल, 1 अक्टूबर को चीन का राष्ट्रीय दिवस था. इसी दिन सन् 1949 में चीन में साम्यवादी पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना हुई थी. और जैसा कि अमूमन हर आधुनिक देश के साथ होता है, चीन में भी सालगिरह के आस-पास के दिनों में राष्ट्रवाद कुलांचे मारने लगता है. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पर यह जिम्मेदारी कुछ ज्यादा ही है क्योंकि एक छोर से वह सरकार की तरह बैटिंग करती है और दूसरे छोर से जनता के बदले खुद ही बॉलिंग भी कर लेती है. जनता चाहे तो बैठे दर्शक दीर्घा में क्योंकि वेनगार्ड के आगे उसे खुद तो सही गलत की परख है नहीं. राष्ट्रवाद के रंग में रंगी चीनी वायु सेना ने देश की जनता को एक मजबूत संदेश देने के लिए एक के बाद एक दर्जनों युद्धक जहाज ताइवान के दक्षिण पश्चिमी एडीआईजेड (एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन) के अंदर दाखिल होने के लिए भेज दिए. 1 से 4 अक्टूबर के बीच ही तकरीबन चीनी वायु सेना के 150 लड़ाकू जहाजों ने ताइवान की एडीआईजेड सीमा का उल्लंघन किया. शी जिनपिंग के आक्रामक तेवर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आक्रामक तेवर दिखाए और ताइवान को चीन में मिला लेने का संकल्प भी दुहराया. चीनी क्रांति की एक सौ दसवीं सालगिरह के अवसर पर 9 अक्टूबर को हुई बैठक में भी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस बात पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि चीन के राष्ट्रीय पुनरोत्थान के लिए चीन का पूरी तरह भौगोलिक एकीकरण होना जरूरी है.