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आखिर कैसे जलवायु परिवर्तन से है शीतकालीन ओलंपिक और हिम खेलों को खतरा

Gulabi
26 Jan 2022 1:11 PM GMT
आखिर कैसे जलवायु परिवर्तन से है शीतकालीन ओलंपिक और हिम खेलों को खतरा
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शीतकालीन ओलंपिक और हिम खेलों को खतरा
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से कारण दुनिया के बहुत सारे आयोजन स्थलों में बर्फ का या तो स्तर कम हो गया है या वहां बर्फ जमने के अंतराल में ही बहुत प्रभावी बदलाव हो रहा है. इस वजह से वहां हिम खेलों (Snow Sports) के आयोजन की उपयुक्तता खत्म होती जा रही है. चीन (China)में अगले महीने होने वाले शीतकालीन ओलंपिक के लिए उपयोग में आने वाली कृत्रिम बर्फ की उपयुक्तता पर भी सवाल उठ रहे हैं.
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) इंसानों के हर क्षेत्र को प्रभावित करने लगा है. इसमें खेल भी अछूते नहीं हैं. खासतौर पर हिम खेल और इसके मशहूर शीतकालीन ओलंपिक खेलों पर भी संकट दिखाई देने लगा है. बीजिंग शीतकालीन खेलों (Winter Olympic) के शुरू होने से ठीक एक सप्ताह पहले एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है जिसमें कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन शीतकालीन ओलंपिक खेलों के लिए खतरा बन रहा है और विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इससे भविष्य में हिम खेल (Snow Sprots) एथलीटों और अन्य खिलाड़ियों के लिए खतरनाक होता जा रहे हैं.
बीजिंग (Beijing) के शीतकालीन ओलंपिक (Winter Olympics) अगले महीने की चार तारीख को ही शुरू होने जा रहे हैं. इन ओलंपिक की खास बात यही है कि यह पहले ऐसे ओलंपिक होंगे जिनमें पूरी तरह से यानि सौ प्रतिशत कृत्रिम हिम (Artificial Snow) का उपयोग होगा. इसके लिए 100 से भी ज्यादा स्नो जेनेरेटर्स और 300 हिम निर्माण करने वाली बंदूकों का उपयोग होगा जिससे स्की ढालों को पूरी तरह से ढका जाएगा.
इस रिपोर्ट को प्रोटेक्ट अवर विंटर्स एन्वायर्नमेंट ग्रुप और इंग्लैंड में लॉगबोरो यूनिवर्सिटी के स्पोर्ट्स इकोलॉजी ग्रुप के शोधकर्ताओं ने लिखा है. इसमें कहा गया है कि यह केवल ऊर्जा और पानी की तीव्रता को लेकर ही नहीं है, बल्कि इस शीतकालीन ओलंपिक (Winter Olympics) में बार बार उपयोग में लाए जाने वाला रसायनों को लेकर है जिससे हिम धीरे पिघलती है. इससे सतह के बारे में बहुत सारे हिम खेल (Snow Sports) के प्रतियोगी कह रहे हैं कि वह अप्रत्याशित और बहुत खतरनाक है.
इस बार के शीतकालीन ओलंपिक (Winter Olympic) प्राकृतिक रूप से शुष्क जलवायु (Dry Climate) में स्थित दो सह आयोजक शहर बीजिंग (Beijing) और झानजियाकोउ में होने जा रहे हैं. शोध के मुताबिक अनुमान है कि ये शहर 490 लाख गैलेन का रासायनिक तौर पर उपचार किया हुआ पानी स्नो मशीनों के जरिए जमाएंगे. चीन ने बार बार दावा किया है कि उसने बर्फ बनाने के लिए केवल प्राकृतिक बारिश और पुनर्आवर्तित पानी का ही उपयोग किया है.
चीन (China) के दावे के बाद भी इस बात की आशंकाएं हैं कि ज्यादा पानी का उपयोग इन इलाकों में पहले कम रहे स्रोतों पर अतिरिक्त दबाव डालेगा. प्राकृतिक हिम कई जगह अब प्रचुर मात्रा में नहीं मिल रही है. वहीं जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण बर्फ बनाने के लिए पानी की उपलब्धता भी गिरती जा रही है. यही वजह है कि वैश्विक हिम खेल (Snow Sports) उद्योग पर बड़ा जोखिम छाने लगा है.
शोध में साफ तौर पर बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण बर्फीले मौसम का अनियमित होना और निचले स्तरों के रिसॉर्ट में बर्फ पिघलना अब बहुत से प्रतियोगियों के लिए एक सामान्य बात हो गई है. अब जोखिम भी साफ है. मानव जनित ऊष्मन (man-made warming) अब शीतकालीन खेलों का लंबा भविष्य खतरे में डाल रही है. यह जलवायु के लिहाज से उपयुक्त शीताकालीन ओलंपिक (Winter Olympics)के लिए योग्य आयोजक स्थलों की संख्या को भी कम कर रहा है.
शोधकर्ताओं का अनुमान है कि चैमोनिक्ल 1924 के शीतकालीन खेलों (Winter Olympics) के 21 आयोजन स्थलों में से, साल 2050 तक केवल 10 ही जलवायु के लिहाज से उपयुक्त रह जाएंगे जहां इतना प्राकृतिक हिमपात हो सकेगा कि कोई शीतकालीन खेल (Snow Sports) आयोजित किया जा सकेगा. चिमोनिक्स अब बड़े जोखिम वाले स्थलों में शामिल कर लया गया है. इसके साथ नॉर्वे, फ्रांस, और ऑस्ट्रिया भी इस सूची में शामिल हैं. वहीं अमेरिका के सोची और क्वा घाटी अब अविश्वस्नीय माने जा रहे हैं. और इसकी वजह जाहिर तौर पर जलवायु परिवर्तन (Climate Change) ही है
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