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लेकिन बीते 8 साल में हालात काफी बिगड़ गए और अब देश के दो तिहाई इलाके पर इनका कब्जा है.
अफ्रीकी देश माली ने फ्रांस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह देश के भीतर आतंकियों को प्रशिक्षण दे रहा है. ये आरोप ऐसे समय पर लगाया गया है, जब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का कहना है कि फ्रांस का वहां (माली) अपनी सैन्य उपस्थिति को अधिक समय तक बनाए रखने का कोई इरादा नहीं है. रूस की समाचार एजेंसी आरआईए नोवत्सकी को दिए एक इंटरव्यू में माली के प्रधानमंत्री चोगुएल कोकल्ला माईगा (Choguel Kokalla Maiga) ने दावा किया कि फ्रांसीसी अधिकारी, आतंकवाद-रोधी अभियानों में शामिल होने का नाटक करने के बजाय, उत्तरी माली के किदल क्षेत्र में आतंकवादी संगठनों को प्रशिक्षण दे रहे हैं.
रूस सरकार के टेलीविजन मीडिया नेटवर्क आरटी पर प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि माली के पास इस बात के सबूत भी हैं, कि फ्रांस उसके क्षेत्र में आतंकवादियों को प्रशिक्षण दे रहा है (France Mali Army). माली के पीएम चोगुएल कोकल्ला माईगा के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है, 'वहां आतंकी समूह हैं, जिन्हें फ्रांसीसी अधिकारियों ने प्रशिक्षित किया है. हमारे पास इसका सबूत है.' उन्होंने आरोप लगाया कि फ्रांस की सेना ने पूरे उत्तरी रेगिस्तानी शहर किडल में एक पूरे एन्क्लेव को इस हद तक नियंत्रित कर लिया है, माली के अधिकारी अपने ही क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकते हैं.
अल-कायदा से जुड़े आतंकियों को सपोर्ट
प्रधानमंत्री माईगा ने कहा है कि फ्रांसीसी सेना माली के अधिकारियों को वहां प्रवेश नहीं करने देती. फ्रांसीसी कथित तौर पर अल कायदा से जुड़े 'आतंकवादी समूह' के साथ समन्वय कर रहे हैं, जिन्हें अंसार-अल-दीन और अन्य संगठनों के रूप में जाना जाता है, ये 'लीबिया से आए थे'. फ्रांस ने साल 2013 में इस देश में हस्तक्षेप किया था (Why France Army in Mali). उस वक्त सशस्त्र विद्रोहियों ने उत्तरी क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था. तभी से फ्रांस ने सालेह क्षेत्र में हजारों सैनिकों को तैनात किया हुआ है. फ्रांस का कहना है कि वह यहां से विद्रोहियों को खदेड़ना चाहता है.
आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रहा फ्रांस
फ्रांस 1 अगस्त, 2014 से बुर्किना फासो, चाड, माली, मॉरिटानिया और नाइजर में आतंकवादी समूहों के खिलाफ ऑपरेशन बरखाने (Operation Barkhane) चला रहा है. लेकिन माली के प्रधानमंत्री का कहना है कि ये आतंकी लीबिया से आए हैं. क्योंकि यहां (लीबिया) फ्रांस ने जब 2011 में नाटो सहयोगियों के साथ सैन्य हस्तक्षेप किया था. माईगा के अनुसार, माली ने आतंकी संगठनों से निपटने के लिए फ्रांस को डाटा और एयर सपोर्ट के जरिए सहयोग करने की बात कही थी. लेकिन फिर भी वह क्षेत्र में लगातार अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है. जिसकी कोई जरूरत ही नहीं है. उन्होंने कहा कि पहले ये आतंकी कुछ ही क्षेत्रों में थे, लेकिन बीते 8 साल में हालात काफी बिगड़ गए और अब देश के दो तिहाई इलाके पर इनका कब्जा है.
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