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तालिबान ने दी जान से मारने की धमकी
हाल ही में सऊदी अरब ने सेना में महिलाओं की एंट्री के दरवाजे खोल दिए हैं. भारत में अब कॉम्बेट जोन और फाइटर पायलट के तौर पर लेडी ऑफिसर्स की एंट्री होने लगी है. भारत में साल 2016 में इंडियन एयरफोर्स में फाइटर रोल्स के लिए लेडी ऑफिसर्स को मंजूरी मिली थी. लेकिन वहीं एक देश ऐसा भी है जहां पर आतंकी खतरे के बाद भी महिलाओं को पायलट बनने की आजादी साल 2011 में ही मिल गई थी.
हम बात कर रहे हैं भारत के दोस्त अफगानिस्तान की जहां पर निलोफर रहमानी ने एयरफोर्स की यूनिफॉर्म पहनकर एक नया इतिहास रचा था. निलोफर ने तालिबान की हर धमकी को नजरअंदाज किया और अपने उस लक्ष्य को हासिल किया जो आज अफगानिस्तान की हर लड़की का सपना है.
तालिबान ने दी जान से मारने की धमकी
28 वर्ष की निलोफर अफगानिस्तान एयरफोर्स के इतिहास में पहली महिला फिक्स्ड विंग पायलट रहीं हैं. सन् 1992 में अफगानिस्तान में जन्मीं निलोफर का सपना बचपन से ही एक पायलट बनने का था. वर्ष 2011 में जब निलोफर अफगान एयरफोर्स एकेडमी से सेंकेड लेफ्टिनेंट बनकर निकलीं तो उन्हें और उनके परिवार को तालिबान की ओर से जान से मारने की धमकियां मिलीं.
उनके परिवार और निलोफर ने हिम्मत नहीं हारी और निलोफर अपनी ड्यूटी पूरी करती रहीं. जिस समय निलोफर का जन्म हुआ उस समय अफगानिस्तान में सोवियत वॉर चल रहा था.
पिता भी रहे अफगान एयरफोर्स में
उनके पिता भी अफगान एयरफोर्स का हिस्सा रह चुके हैं. उन्होंने अपने पिता के साथ दो महिला पायलट्स को फ्लाइंग करते देखा था और तब से ही उनके मन में भी पायलट बनने का सपना पनपने लगा. निलोफर ने अपने इस सपने को पूरा करने के लिए जी-जान लगा दिया और करीब एक वर्ष तक अंग्रेजी की पढ़ाई की. निलोफर किसी भी कीमत पर फ्लाइट स्कूल में एडमिशन का मौका नहीं गंवाना चाहती थीं.
साल 2001 में जब तालिबान, अफगानिस्तान में पूरी तरह से खत्म हुआ तो निलोफर के सपने को पंख मिलने लगे. तालिबान की तरफ से धमकियां मिलने का सिलसिला जारी था लेकिन इसके बाद भी वह मेहनत करती रहीं. साल 2015 में उन्हें अमेरिकी विदेश विभाग के तहत आने वाले इंटरनेशनल वीमेन ऑफ करेज अवॉर्ड से नवाजा गया था.
सैनिकों के शव को भी ले जाती थी निलोफर
जब निलोफर 18 वर्ष की थी तो अफगान एयरफोर्स ने महिलाओं की भर्ती के लिए प्रोग्राम शुरू किया. वर्ष 2011 में निलोफर ने अपने परिवार की मदद से इस प्रोग्राम को ज्वॉइन कर लिया. जिस समय निलोफर ट्रेनिंग कर रही थी उन्होंने वॉल स्ट्रीट जनरल को दिए अपने इंटरव्यू में कहा था कि अफगानिस्तान में महिलाओं को यह अधिकार होना चाहिए.
साथ ही उन्होंने बाकी महिलाओं से भी इस तरह से आगे आने की अपील की थी. अफगानिस्तान में लेडी पायलट्स को इस बात की आजादी नहीं है कि वो किसी घायल या फिर मृत सैनिकों को ट्रांसपोर्ट करें. लेकिन जब कभी भी निलोफर को आदेश मिला उन्होंने उसे हमेशा पूरा किया और कभी कोई हिचक नहीं दिखाई.
आतंकवाद ने तोड़ दिया सपना
निलोफर का सपना सी-130 जे हरक्यूलिस ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को उड़ाने का था. ये दुनिया का सबसे एडवांस्ड ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है. लेकिन निलोफर का यह सपना टूट गया और उन्हें अफगानिस्तान एयरफोर्स को अलविदा कहना पड़ गया. उनके परिवार को एक जगह से दूसरी जगह पर जाना पड़ रहा था.
उनके पिता से कहा गया कि बेटी का मिलिट्री करियर देश की बाकी महिलाओं के लिए खतरा बन गया है. इसके बाद उनके पिता को नौकरी से हटा दिया गया. फिलहाल निलोफर अमेरिका के फ्लोरिडा के टैंपा में रह रही हैं.
अब अमेरिका में ट्रांसलेटर हैं निलोफर
साल 2018 में अमेरिका की तरफ से उन्हें शरण दी गई थी. फिलहाल उनकी बहन अफसून शरण के लिए प्रयास कर रही हैं. रहमानी की मानें तो उन्हें लगता कि वह अमेरिका में सुरक्षित हैं. सुरक्षा की इस भावना के बाद भी निलोफर अपने उस सपने के टूट जाने की वजह से दुखी हैं जिसने उन्हें आसमान में उड़ना सिखाया.
फिलहाल वह फ्लोरिडा में एक ट्रांसलेटर की जॉब करती हैं. तीन भाषाओं फारसी, दारी और इंग्लिश बोलने में माहिीर निलोफर का सपना अब अमेरिकी वायुसेना के लिए प्लेन उड़ाना है. इसे पूरा करने के लिए उन्हें अमेरिका का नागरिक बनना होगा. निलोफर को डर है कि समय बीतने के साथ उनकी फ्लाइंग स्किल्स में गिरावट हो सकती है.
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