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अफगानिस्तान की टॉप पुलिस ऑफिसर रहीं गुलअफरोज ऐबतेकर को अमेरिका तालिबान के हाथों मरने के लिए छोड़ गया, कहीं से नहीं मिली मदद

Renuka Sahu
1 Sep 2021 3:57 AM GMT
अफगानिस्तान की टॉप पुलिस ऑफिसर रहीं गुलअफरोज ऐबतेकर को अमेरिका तालिबान के हाथों मरने के लिए छोड़ गया, कहीं से नहीं मिली मदद
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फाइल फोटो 

अफगानिस्तान की अशरफ गनी सरकार में टॉप पुलिस ऑफिसर रहीं 34 वर्षीय गुलअफरोज ऐबतेकर अपनी जान बचाने के लिए यहां-वहां भागने को मजबूर हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान (Afghanistan) की अशरफ गनी सरकार में टॉप पुलिस ऑफिसर रहीं 34 वर्षीय गुलअफरोज ऐबतेकर (Gulafroz Ebtekar) अपनी जान बचाने के लिए यहां-वहां भागने को मजबूर हैं. तालिबान (Taliban) उन्हें पागलों की तरह ढूंढ रहा है. ऐबतेकर ने अफगानिस्तान से निकलने के लिए अमेरिका (America) सहित कई देशों की एम्बेसी से गुहार लगाई थी, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की. उन्होंने इस आस में काबुल हवाईअड्डे (Kabul Airport) पर कई दिन गुजारे कि अमेरिकी सैनिक उन्हें साथ ले जाएंगे, मगर वो भी उन्हें मरने के लिए छोड़ गए.

Airport पर हुआ था हमला
गुलअफरोज ऐबतेकर (Gulafroz Ebtekar) अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के आपराधिक जांच विभाग की डिप्टी चीफ थीं. उन्हें अफगान महिलाओं के लिए प्रेरणा समझा जाता है, लेकिन आज उनके लिए अपनी जान बचाना भी मुश्किल हो गया है. तालिबान लड़ाके उन्हें खोज रहे हैं और वो यहां-वहां भागने को मजबूर हैं. काबुल हवाईअड्डे पर तालिबान ने उन पर हमला भी बोला था, लेकिन वो किसी तरह वहां से बच निकलने में कामयाब रहीं. हालांकि, चूहे, बिल्ली का ये खेल शायद ही ज्यादा दिनों तक चले.
'Taliban मुझे मार डालेगा'
गुलअफरोज ऐबतेकर ने कहा, 'मैंने कई देशों की एम्बेसी से मुझे और मेरे परिवार को बचाने की गुहार लगे थी. मैं पांच दिनों तक हवाईअड्डे के रिफ्यूजी कैंप में रही. मुझे पूरी उम्मीद थी कि अमेरिकी मदद करेंगे, लेकिन उन्होंने भी आखिरी वक्त पर धोखा दिया. अब मेरे पास बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है. यदि तालिबान ने मुझे पकड़ लिया, तो वो मार डालेंगे'. बता दें कि गुलअफरोज एकमात्र ऐसी अफगान महिला हैं, जिन्होंने पुलिस अकादमी से मास्टर डिग्री के साथ ग्रेजुएशन किया है. उनके नाम से ही अपराधियों के पसीने छूट जाया करते थे.
US Troops ने नहीं की मदद
लेडी कॉप ने कहा, 'जब मैंने एयरपोर्ट पर अमेरिकी सैनिकों को देखा तो राहत की सांस ली. मुझे लगा कि अब हम सुरक्षित हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया. मैंने टूटी-फूटी अंग्रेजी में यूएस सैनिकों को समझाया कि मेरी जान को खतरा है. मैंने उन्हें अपना पासपोर्ट, पुलिस ID और पुलिस सर्टिफिकेट भी दिखाया, मगर उन्होंने कोई मदद नहीं की'. गुलअफरोज के मुताबिक, पांच दिनों के इंतजार के बाद अमेरिकी सैनिकों ने उन्हें वहां से भगा दिया.
Russia ने भी किया इनकार
गुलअफरोज ने कुछ वक्त तक रूस में भी पढ़ाई की थी. इसलिए उन्होंने मदद के लिए रूसी दूतावास का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां भी निराशा हाथ लगी. एयरपोर्ट से वापस लौटने पर गुलअफरोज की मां ने उन्हें बताया कि तालिबानी उन्हें ढूंढते हुए यहां आए थे. इसके बाद वो वापस मदद की आस में एयरपोर्ट पहुंची, जहां तालिबानी लड़ाकों ने उनके साथ जमकर मारपीट की. किसी तरह बचकर निकलीं गुलअफरोज तभी से अंडरग्राउंड हो गई हैं.
Taliban ने पहले ही दी थी धमकी
तालिबान लगातार उन पर नौकरी छोड़ने का दबाव डाल रहा था. अफगानिस्तान पर कब्जे से पहले भी उसने गुलअफरोज को कई बार चेतावनी दी थी. तालिबान ने उन्हें पत्र लिखकर कहा था कि पुलिस की नौकरी महिलाओं के लिए नहीं है, इसलिए उन्हें तुरंत नौकरी छोड़ देनी चाहिए. लेकिन गुलअफरोज ने उसकी चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया. अब जब तालिबान सत्ता में है, तो वो उनके खून का प्यासा बन गया है.


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