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शांति और विकास की नीति के साथ खुल सकता है जैसा कि पिछली सरकार के साथ था. भारत के लिए अफगानिस्तान के दरवाजे हमेशा से खुले हैं.
भारत के लिए पड़ोसी देश अफगानिस्तान (Afghanistan) हमेशा से ही एक प्रमुख फोकस क्षेत्र बना हुआ है. रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी स्थिति में भी कुछ बदलाव नहीं आए हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल (Ajit Doval) युद्ध से तबाह अफगानिस्तान पर दो दिवसीय सुरक्षा वार्ता के लिए ताजिकिस्तान के दुशांबे में हैं. इसमें सुरक्षा वार्ता में मेजबान देश के अलावा रूस, चीन, ईरान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और कजाकिस्तान भी भाग ले रहे हैं. ये वार्ता आतंकवाद, एक समावेशी सरकार के गठन और अफगानिस्तान में सामने आ रहे मानवीय संकट पर केंद्रित होने की संभावना है.
तालिबान के देश में कब्जे के बाद भारत ने अगस्त 2021 में काबुल में अपना दूतावास बंद कर दिया था. इससे पहले, भारत ने मजार-ए-शरीफ, कंधार, हेरात और जलालाबाद में अपने वाणिज्य दूतावासों को भी बंद कर दिया था. फिर भी दोनों देशों के बीच गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध बरकरार हैं. भारत ने हाल के महीनों में कई बैचों में अफगानिस्तान को खाने-पीने का सामान, मेडिकल सप्लाई और अन्य मानवीय सहायता भेजी है. वहीं, राजनीतिक स्तर पर औपचारिक संबंधों को फिर से स्थापित करने की कोशिशें भी जारी हैं.
इस बीच शीर्ष तालिबान नेता अनस हक्कानी (जो एर्टिबत्त बा शक्सियत आयोग में काम करते हैं) का कहना है कि वह सभी अफगानियों को बातचीत के लिए एक मेज पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. बता दें कि इस आयोग की स्थापना लगभग सभी पूर्व सरकारी अधिकारियों को एक जगह पर वापस लाने के इरादे से की गई थी.
अनस हक्कानी दोहा, कतर में अपने राजनीतिक कार्यालय में तालिबान की वार्ता टीम के सदस्य थे. वह सिराजुद्दीन हक्कानी के भाई भी हैं, जो अब अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात (आईईए) के आंतरिक मंत्री हैं. CNN-News18 के साथ एक ग्लोबल इंटरव्यू में अनस हक्कानी ने तालिबान शासन के इरादों और अपने देश में शांति लाने के प्रयासों, भारत की महत्वपूर्ण भूमिका और क्रिकेट के प्रति अपने प्रेम पर बात की. पढ़िए, उनसे हुई बातचीत के खास अंश…
बिस्मिल्लाह-ए-रहमान-ए-रहीम. मैं आपको धन्यवाद देता हूं, मैं यहां आपका स्वागत करता हूं. मेरे देश में शांति के लिए आपके प्रयासों और प्रतिबद्धता के लिए आपको बधाई देता हूं. अब यह बहुत स्पष्ट है कि शासन (सरकार बनाने), शांति और विचार-विमर्श का समय आ गया है. अभी तक हमारे पास दुनिया के लिए विशेष रूप से पड़ोसी देशों के लिए आईईए की नीति है और इसमें भारत भी शामिल है. भारत अपनी शांति और विकास की नीति के साथ खुल सकता है जैसा कि पिछली सरकार के साथ था. भारत के लिए अफगानिस्तान के दरवाजे हमेशा से खुले हैं.
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