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तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग चुके हैं. वह अपने हेलीकॉप्टर में ठूंस-ठूंस कर नकदी भर ले गए हैं. बावजूद इसके जगह की कमी के कारण नोटों से भरे कुछ बैग रनवे पर ही रह गए.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- मास्को: तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग चुके हैं. वह अपने हेलीकॉप्टर में ठूंस-ठूंस कर नकदी भर ले गए हैं. बावजूद इसके जगह की कमी के कारण नोटों से भरे कुछ बैग रनवे पर ही रह गए. इस बात की जानकारी रूस की आधिकारिक मीडिया की ओर से दी गई है.
पैसा भर ले गए अशरफ गनी
काबुल पर तालिबान के कब्जे के साथ ही रविवार को अमेरिका के समर्थन वाली गनी सरकार गिर गई और राष्ट्रपति देश-विदेश के सामान्य लोगों की तरह देश छोड़ने पर मजबूर हो गए. काबुल स्थित रूसी दूतावास का हवाला देते हुए रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास ने खबर दी है कि 72 वर्षीय राष्ट्रपति गनी नकदी से भरा हेलीकॉप्टर लेकर काबुल से भागे हैं.
खबर में दूतावास के एक कर्मचारी के हवाले से कहा गया है, 'सत्ता गंवाने की वजह से गनी इस तरीके से देश छोड़कर भागने को मजबूर हुए और उनकी चार कारें नकदी से भरी हुई थीं. इस सभी कारों से ढेर सारा पैसा हेलीकॉप्टर में भरने की कोशिश की गई, लेकिन सारी नकदी हेलीकॉप्टर में नहीं भरी जा सकी और उन्हें कुछ पैसा वहीं रनवे पर ही छोड़ना पड़ा.'
रनवे पर ही छोड़नी पड़ी भारी रकम
तास ने दूतावास के कर्मचारी का नाम नहीं दिया है, लेकिन रूसी दूतावास की प्रवक्ता निकिता इशेंको के हवाले से रूसी वायर सेवा स्पूतनिक ने खबर दी है कि काबुल से भागने के दौरान गनी के काफिले में नकदी से भरी कारें शामिल थीं. इशेंको ने कहा, 'उन्होंने सारा पैसा हेलीकॉप्टर में भरने की कोशिश की लेकिन जगह की कमी से ऐसा नहीं हो पाया. कुछ पैसा रनवे पर ही रह गया.'
अफगानिस्तान छोड़ने के बाद अपने पहले बयान में गनी ने रविवार को फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा. इसमें राष्ट्रपति ने लिखा, 'उनके सामने दो मुश्किल विकल्प थे, पहला राष्ट्रपति भवन में घुसने की कोशिश कर रहे हथियारबंद तालिबान और दूसरा अपने प्रिय देश को छोड़ना, जिसकी रक्षा के लिए मैंने अपने जीवन के 20 साल लगा दिए.'
उन्होंने कहा, 'अगर फिर से अनगिनत संख्या में देश के नागरिक शहीद होते और काबुल में तबाही होती तो कुछ 60 लाख की आबादी वाले शहर के लिए नतीजा बेहद घातक होता. तालिबान ने मुझे हटाने का फैसला कर लिया था, वे यहां काबुल और काबुल के लोगों पर हमला करने आए हैं. ऐसे में भीषण तबाही से बचने के लिए, मुझे वहां से निकलना ही मुनासिब लगा.'
गनी ने बताई देश से जाने की वजह
पड़ोसी देश ताजिकिस्तान में शरण लिए हुए गनी ने कहा, 'तालिबान ने हथियार के बल पर जंग जीत ली है और अब देशवासियों का सम्मान, पैसा और आत्मसम्मान की रक्षा करना उनकी जिम्मेदारी है. पेशे से शिक्षाविद और अर्थशास्त्री गनी अफगानिस्तान के 14वें राष्ट्रपति थे. पहली बार 20 सितंबर 2014 और दूसरी बार 28 सितंबर, 2019 में वह राष्ट्रपति चुनावों में जीत हासिल कर पद पर निर्वाचित हुए थे.
गौरतलब है कि अफगानिस्तान पर 1996 से 2001 तक तालिबान का शासन था और 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद अमेरिका की अगुवाई में सैन्य बलों ने देश से उनका शासन खत्म कर दिया था.
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