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अफगानिस्तान : महंगाई हुई आसमान में.. 2400 रुपये में आटे और 2700 रुपये में चावल की बोरी

Rani Sahu
12 Dec 2021 12:46 PM GMT
अफगानिस्तान : महंगाई हुई आसमान में.. 2400 रुपये में आटे और 2700 रुपये में चावल की बोरी
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अफगानिस्तान (Afghanistan food Price Rise) में महंगाई चरम पर हैं

काबुल: अफगानिस्तान (Afghanistan food Price Rise) में महंगाई चरम पर हैं और लाखों लोगों के सामने भुखमरी का संकट है. महंगाई का आलम यह है कि आटे (flour) की एक बोरी 2400 अफगानी रुपये और चावल (Rice) की 2700 रुपये में मिल रही है. दाल, खाद्य तेल के दाम भी आसमान छू रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र की कई एजेंसियां भी खाद्यान्न के बढ़ते दामों को लेकर अफगानिस्तान में बड़े मानवीय संकट की चेतावनी दे चुके हैं. एक दुकान के मालिक सैफुल्लाह ने कहा कि अफगानी रुपये के मुकाबले डॉलर की बढ़ती कीमत खाद्य वस्तुओं (essential commodities) जैसे अनाज, तेल के भाव आसमान छूने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं.

टोलो न्यूज के मुताबिक, सैफुल्लाह ने कहा कि हम सारा सामान डॉलर में खरीदते हैं और फिर अफगानी रुपये में इसे बेचते हैं. आटे के एक बैग की कीमत 2400 अफगानी रुपये में बिक रही है. जबकि 16 लीटर की तेल बोतल 2800 रुपये में है. चावल की एक बोरी की 2700 रुपये है. आम अफगानी नागरिक खाने-पीने की वस्तुओं के ऊंचे दामों के कारण दो वक्त का भोजन भी नहीं जुटा पा रहे हैं. काबुल के शाह आगा ने कहा कि वो मजदूरी करते हैं और एक दिन में 100-150 अफगानी रुपये इकट्ठा कर पाते हैं. लेकिन इससे रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल है.
हालांकि तालिबान (Taliban) सरकार का कृषि मंत्रालय का दावा कर रहा है कि जो सामान बाहर से आता है, वो तो महंगा है, लेकिन देसी वस्तुएं सस्ती हैं, जैसे 7 किलो प्याज 30 अफगानी रुपये में मिल रहा है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने हालिया रिपोर्ट में कहा है कि तालिबान के सत्ता में आने के चार महीने बाद अफगानिस्तान में भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है. राहत कार्यों में जुटी एजेंसियों का कहना है कि सर्दियों के महीनों में लाखों बच्चों की मौत इस कारण हो सकती है.
इस साल सर्दी में 2.28 करोड़ से ज्यादा यानी अफगानिस्तान की आधी आबादी खाने-पीने की कमी से जूझेगी. यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने ये चेतावनी दी है. इनमें से 87 लाख अकाल जैसी स्थिति में आने वाली भुखमरी का शिकार होंगे.
इंटरनेशनल क्राइसिग ग्रुप का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से पर्याप्त मदद न दी गई तो लाखों की संख्या में लोग भुखमरी (Hunger) से मारे जाएंगे. उसका कहना है कि तालिबान के लोग आधुनिक अर्थव्यवस्था और बाजार की जरूरतों के हिसाब से सरकार चलाने में नाकाम हैं. विदेशी दानदाता भी आगे नहीं आ रहे हैं.


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