विश्व
अफगानिस्तान: अंतरिम तालिबानी सरकार के विदेश मंत्री से मिले भारतीय राजनयिक जेपी सिंह, पाकिस्तान और चीन की उड़ी नींद
Rounak Dey
6 Jun 2022 10:52 AM GMT
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भारत के खिलाफ अपनी जमीन को इस्तेमाल नहीं होने देगा। इसके साथ ही तालिबान 2.0 ने कहा है कि वह कश्मीर जिहाद को समर्थन नहीं देगा।
काबुल: तालिबान के कब्जे के बाद पहली बार भारत अफगानिस्तान पहुंचा है। गुरुवार को भारत की ओर से वरिष्ठ राजनयिक जेपी सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल अफगानिस्तान पहुंचा। यहां उन्होंने तालिबान के नेताओं से मुलाकात की। अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल मिला और अफगानिस्तान में चल रहे भारतीय प्रोजेक्ट का हाल देखा।
तालिबान के सत्ता संभालने से पहले भारत पर्दे के पीछे से उसके संपर्क में रहा है। लेकिन अब सीधे भारत अफगानिस्तान में एंट्री कर रहा है। भारत ने इसे मानवीय सहायता से जुड़ी मुलाकात बताया है। लेकिन पाकिस्तान भारत के इस रुख से चौकन्ना हो गया है। पाकिस्तान अपने आप को हमेशा अफगानिस्तान का मददगार दिखाने में लगा रहा है, लेकिन असल में मदद हमेशा भारत ने की है। खाने के लिए गेहूं, दवाई की मदद भारत ने की है। वहीं पाकिस्तान ने उसे घटिया क्वालिटी का गेहूं दिया।
अफगानिस्तान में क्यों जा रहा है भारत
लेकिन अब सवाल उठता है कि भारत असल में अफगानिस्तान में एंट्री क्यों करना चाहता है? अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में ज्यादातर फैसले लंबी अवधि के फायदों के लिए होते हैं। भारत को भले ही फायदा मिले या न मिले लेकिन नुकसान नहीं होना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत के दो दुश्मन चीन और पाकिस्तान अफगानिस्तान में अपनी पकड़ बनाने में लगे हैं। गुरुवार को जब भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने तालिबान के साथ मुलाकात की तो ठीक उसी दिन चीन के राजदूत डिंग यिनां (Ding Yinan) ने भी तालिबान के उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास से मुलाकात की। चीन की चिंता उसकी पश्चिमी सीमा और पाकिस्तान में उसके प्रोजेक्ट हैं, जिसे आतंकवाद, अलगाववाद, और धार्मिक कट्टरवाद से नुकसान हो सकता है।
अमेरिका के अफगानिस्तान से निकलने के बाद अब अगर चीन और पाकिस्तान तालिबान के करीब हो जाते हैं तो इसका सबसे बड़ा नुकसान भारत को ही होगा। तालिबान के जरिए पाकिस्तान भारत में आतंकवाद बढ़ा सकता है, तो वहीं चीन आर्थिक मोर्चे पर भारत को नुकसान पहुंचा सकता है। पुराने तलिबान के साथ भारत का अनुभव अच्छा नहीं रहा है, लेकिन नया तालिबान लगातार इस बात को कहता रहा है कि वह भारत के खिलाफ अपनी जमीन को इस्तेमाल नहीं होने देगा। इसके साथ ही तालिबान 2.0 ने कहा है कि वह कश्मीर जिहाद को समर्थन नहीं देगा।
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