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अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के शिया बहुल पश्चिमी हिस्से में शनिवार (8 मई) को एक स्कूल के नजदीक हुए बम धमाके में मौत का आंकड़ा 58 पहुंच गया है।
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के शिया बहुल पश्चिमी हिस्से में शनिवार (8 मई) को एक स्कूल के नजदीक हुए बम धमाके में मौत का आंकड़ा 58 पहुंच गया है। इस धमाके में 150 से अधिक घायल हो गए, जिनमें ज्यादातर स्कूली बच्चे हैं। तालिबान ने नागरिकों को निशाना बनाकर किए गए हमले की निंदा की है और इसमें अपना हाथ होने से इनकार किया है। आंतरिक मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक अरियान ने बताया कि शिया बहुल दस्त-ए-बारची इलाके में स्थित सैयद अल-शाहदा स्कूल के नजदीक हुए धमाके के स्थान से एंबुलेंस के जरिये घायलों को निकाला गया।
अमेरिका के शीर्ष राजनयिक रॉस विल्सन ने कहा कि स्कूली बच्चों पर हमला निंदनीय व अमानवीय है। 20 साल की लड़ाई के बाद तालिबान ने युद्ध खत्म करने के लिए अमेरिका के साथ हस्ताक्षर किए थे और अब वो फिर से धोखेबाजी पर उतर आया है। राष्ट्रपति अशरफ गनी ने घटना के लिए तालिबान को जिम्मेदार ठहराते हुए काबुल में हाई अलर्ट घोषित किया है।
वहीं भारत ने काबुल में स्कूल पर हुए हमले की भर्त्सना करेत हुए कहा कि छात्राओं पर हमला अफगानिस्तान के भविष्य पर हमला है। इसके पीछे जिनका हाथ है वे अफगानिस्तान में पिछले दो दशकों में हासिल की गई उपलब्धियों को नष्ट करना चाहते हैं।
तीन धमाके होने की बात कही जा रही है
इलाके के निवासियों ने बताया कि धमाका बहुत भीषण था। निवासी नसीर रहीमी ने कहा कि उन्होंने तीन अलग-अलग धमाकों की आवाज सुनी। हालांकि, इस दावे के बारे में आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी। रहीमी ने कहा कि धमाके की तीव्रता को देखते हुए मृतक संख्या बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि धमाका स्थानीय समयानुसार शाम करीब 4:30 बजे हुआ और उस समय लड़कियां स्कूल से निकल रही थीं। विस्फोट में घायल हुई 15 वर्षीय छात्रा जाहरा ने कहा, 'मैं अपनी सहपाठियों के साथ थी और हम स्कूल से निकल रहे थे, तभी एक जबरदस्त धमाका हुआ। 10 मिनट बाद फिर से धमाका हुआ और चंद मिनट बाद एक और धमाका हुआ।'
हमले की जिम्मेदारी किसी संगठन ने नहीं ली
तत्काल हमले की जिम्मेदारी किसी संगठन ने नहीं ली है, लेकिन पूर्व में इसी शिया बहुल इलाके में हुए हमलों की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली थी। चरमपंथी सुन्नी मुस्लिम समूह ने अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक शिया मुस्लिमों के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर रखी है। अमेरिका ने पिछले साल प्रसूति अस्पताल पर हुए हमले के लिए इस्लामिक स्टेट को जिम्मेदार ठहराया था, जिसमें कई गर्भवती महिलाओं और नवजातों की मौत हो गई थी।
नाराज भीड़ ने एंबुलेंस पर किया हमला
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता गुलाम दस्तीगर नाजारी ने बताया कि नाराज भीड़ ने एंबुलेंस पर हमला किया और यहां तक कि स्वास्थ्यकर्मियों की पिटाई भी की। उन्होंने लोगों से सहयोग करने और एंबुलेंस को घटनास्थल पर जाने देने की गुहार लगाई। सोशल मीडिया पर आई तस्वीर में इलाके में धुएं का गुब्बार उठता दिखा। नजदीकी अस्पताल में एसोसिएटेड प्रेस के पत्रकार ने 20 शवों को कमरे में रखे हुए देखा जबकि दर्जनों घायल और हमले की चपेट में आए लोगों के परिवार अस्पताल में आते दिखाई दिए।
खुफिया एजेंसियों की इस्लामिक स्टेट से साठगांठ का आरोप
मुहम्मद अली जिन्ना अस्पताल के बाहर दर्जनों लोग रक्तदान करने के लिए कतार में खड़े दिखाई दिए जबकि कई लोग दीवार पर लगी हताहतों की सूची में अपनों का नाम तलाश करते हुए दिखाई दिए।
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने संवाददाताओं को भेजे संदेश में कहा कि केवल इस्लामिक स्टेट समूह इस जघन्य अपराध के लिए जिम्मेदार होगा। मुजाहिद ने अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसियों की इस्लामिक स्टेट से साठगांठ का आरोप लगाया। हालांकि, अपने दावे के समर्थन में कोई सबूत नहीं दिया।
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