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अफगानिस्तान: प्रदर्शन में हिस्सा लेने पर एक्टिविस्ट की बेरहमी से पिटाई

Neha Dani
13 Sep 2021 7:17 AM GMT
अफगानिस्तान: प्रदर्शन में हिस्सा लेने पर एक्टिविस्ट की बेरहमी से पिटाई
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लोगों के आंदोलन को प्रतिबंधित कर दिया गया है, जो देश में मानवाधिकारों के सबसे बुनियादी अधिकारों के हनन को दिकाता है।

अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद से ही मानवाधिकार का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। तालिबान ने मानवाधिकार कार्यकर्ता हबीबुल्ला फरजाद को बेरहमी से सिर्फ इसलिए पीटा क्योंकि उन्होंने काबुल में महिलाओं के एक विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था। देश पर तलिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा एक आम घटना बन गई है। महिला प्रदर्शनकारी देश में अफगान महिलाओं के लिए समान अधिकार की मांग र रही है।

द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले बुधवार को काबुल में महिलाओं द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में भाग लेने पर मानवाधिकार कार्यकर्ता हबीबुल्लाह फरजाद को तालिबान ने बेरहमी से पीटा है। फरजाद ने बताया कि तालिबानियों ने उनके हाथों को पीठ के पीछे बांध दिया और फिर बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया। इसके बाद वो बेहोश हो गए। फरजाद ने बताया कि बेहोश होने के बाद वो मुझे दूसरे कमरे में ले गए जहां कई पत्रकारों सहित और लोगों को भी हिरासत में रखा गया था।
तालिबान ने फरजाद पर 'इस्लाम' के खिलाफ जाने का भी आरोप लगाया और कहा कि वो इस्लाम के खिलाफ काम कर रहे हैं इसलिए हमें उनके जैसे काफिरों को मारने की इजाजत है। बता दें कि यह पहला मामला नहीं है जब देश में तालिबान द्वारा किसी कार्यकर्ता का अपहरण और मारपीट की गई है। काबुल पर कब्जे के बाद से समूह लगातार मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों पर कार्रवाई कर रहा है जो संगठन के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
इससे पहले तालिबान के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने वाली एक अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार सायरा सलीम ने बताया कि आतंकवादी समूह के सदस्य उसकी तलाश कर रहे हैं। सलीम ने यह भी बताया कि चार दिन पहले तालिबान के छह सदस्य उसके घर आए और दरवाजा खटखटाया। लड़ाकों ने उसके पिता से उसके ठिकाने के बारे में पूछताछ की।
तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान में बर्बरता के हालिया दृश्यों ने युद्ध से तबाह देश में मानवाधिकारों की विनाशकारी स्थिति को उजागर कर दिया है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून में लिखते हुए डा. सैयद अख्तर अली शाह ने लिखा है कि हाल के दिनों में अफगानिस्तान में हुई दुखद घटनाओं ने सभी को आहत और दुखी कर दिया। वर्तमान में अफगानिस्तान में अराजक स्थिति है। चारों ओर बंदूकधारियों की मौजूदगी ने पूरी आबादी को घेराबंदी की स्थिति में डाल दिया है। लोगों के आंदोलन को प्रतिबंधित कर दिया गया है, जो देश में मानवाधिकारों के सबसे बुनियादी अधिकारों के हनन को दिकाता है।


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