x
गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे देश के सवा दो करोड़ लोग
काबुल, एएनआई: अफगानिस्तान के अंदरूनी हालात वक्त के साथ बिगड़ते जा रहे हैं। नार्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल (एनआरसी) के मुताबिक अफगान में करीब 230 लाख लोग भुखमरी की कगार पर खड़े हैं। काउंसिल ने विश्व समुदाय से अफगान के लोगों के लिए आर्थिक मदद की मांग करते हुए प्रतिबंधों को हटाने की मांग की है। टोलो न्यूज के मुताबिक, एनआरसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों के कारण एजेंसियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। प्रतिबंध देश में और देश के भीतर धन को स्थानांतरित करने से रोक रहे हैं, जिससे आपातकालीन राहत में बाधा आ रही है।
प्रतिबंधों के चलते राहत कार्य संभव नहीं
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका की मदद के आभाव में देश में राहत कार्य संभव नहीं है। जब तक अमेरिकी ट्रेजरी विभाग और अन्य एजेंसियां बैंकों पर लगे प्रतिबंधों को हटाकर अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक का समर्थन नहीं करती। तब तक देश में लाखों जरूरतमंद लोगों की मदद करना मानवीय संगठनों के लिए असंभव है। आगे रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी ट्रेजरी विभाग द्वारा जारी लाइसेंस और मानवीय सहायता पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधों में छूट, देश के लोगों की मदद करने के लिए अच्छे कदम हैं लेकिन ये पर्याप्त नहीं हैं। टोलो न्यूज के मुताबिक, एनआरसी ने अमेरिका और यूरोपीय सरकारों से अफगानिस्तान में धन के हस्तांतरण की अनुमति देने का आग्रह किया है। साथ ही एजेंसियों द्वारा उसी धन का इस्तेमाल सहायता कार्यों के लिए इस्तेमाल की अनुमति देने का भी आग्रह किया है।
धन के हस्तांतरण की अनुमति देने का आग्रह
टोलो न्यूज के मुताबिक, एनआरसी ने अमेरिका और यूरोपीय सरकारों से अफगानिस्तान में धन के हस्तांतरण की अनुमति देने का आग्रह किया है। साथ ही एजेंसियों द्वारा उसी धन का इस्तेमाल सहायता कार्यों के लिए इस्तेमाल की अनुमति देने का भी आग्रह किया है। संयुक्त राष्ट्र ने बुधवार को कहा कि उसने आवश्यक सेवाओं को बनाए रखने और आवश्यक सामुदायिक प्रणालियों को संरक्षित करने के माध्यम से 2022 में अफगानिस्तान के लोगों की सहायता के लिए अपना वन-यूएन ट्रांजिशनल एंगेजमेंट फ्रेमवर्क (टीईएफ) शुरू किया है।
तालिबानी शासन में परिस्थितियां बदतर
तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद से अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति काफी खराब हो गई है। विदेशी सहायता के निलंबन, अफगान सरकार की संपत्ति को जब्त करने और तालिबान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के संयोजन ने देश को पहले से ही उच्च गरीबी के स्तर से पीड़ित एक पूर्ण आर्थिक संकट में डाल दिया है।
Next Story