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अफगान धरती किसी भी पड़ोसी के खिलाफ नहीं होगी इस्तेमाल, पाकिस्तानी एनएसए को तालिबान ने दिया भरोसा

Subhi
31 Jan 2022 12:42 AM GMT
अफगान धरती किसी भी पड़ोसी के खिलाफ नहीं होगी इस्तेमाल, पाकिस्तानी एनएसए को तालिबान ने दिया भरोसा
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गुपचुप काबुल पहुंचे पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोईद यूसुफ को तालिबान सरकार ने आश्वस्त किया है कि पड़ोसियों पर हमले के लिए अफगान धरती का इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा।

गुपचुप काबुल पहुंचे पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोईद यूसुफ को तालिबान सरकार ने आश्वस्त किया है कि पड़ोसियों पर हमले के लिए अफगान धरती का इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा। पाकिस्तानी एनएसए के साथ गए दल ने अफगानिस्तान के कार्यकारी उप प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनफी और कार्यकारी विदेश मंत्री मुल्ला आमिर खान मुत्तकी से द्विपक्षीय मसलों पर चर्चा की।

यूसुफ पाकिस्तान के मंत्रियों के उच्चस्तरीय दल के साथ 29-30 जनवरी की दो दिन की यात्रा पर अफगानिस्तान गए थे। इसी महीने यूसुफ ने जब घोषणा कर काबुल की यात्रा पर जाना चाहा था तो वहां के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाहर विरोध के लिए हजारों लोग जुट गए थे। इसके बाद यूसुफ को अपनी यात्रा रद करनी पड़ी थी।

हनफी ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल पाकिस्तान सहित किसी भी पड़ोसी देश के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा। राष्ट्रपति के महल से जारी अंतरिम सरकार के बयान में कहा गया है कि अफगान धरती दुनिया के किसी भी देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने दी जाएगी। किसी भी देश के खिलाफ गतिविधि की किसी को भी इजाजत नहीं होगी।

हनफी ने कहा है कि यही अपेक्षा अफगान सरकार की अपने पड़ोसियों से भी है। विदित हो कि पाकिस्तान सहित दुनिया के किसी भी देश ने अभी तक अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। तालिबान ने 15 अगस्त, 2021 को अफगानिस्तान की अशरफ गनी सरकार को ताकत के बल पर अपदस्थ कर वहां की सत्ता पर कब्जा किया था।

इससे पहले पाकिस्तान के एनएसए ने गुरुवार को नेशनल एसेंबली की विदेशी मामलों की स्टैंडिंग कमेटी से कहा था कि प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के कमांडर अफगानिस्तान में रहकर पाकिस्तान में आतंकी हमले करवा रहे हैं। विदित हो पाकिस्तानी तालिबान को अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान की सहानुभूति हासिल है। इस आधार पर तालिबान सरकार ने पाकिस्तान सरकार और टीटीपी के बीच सुलह कराने की कोशिश की थी लेकिन वह सफल नहीं रही थी।



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