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उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में चट्टानों पर आसपास प्रवाल की करीब 60 प्रजातियां 'खत्म', 'ग्रेट बैरियर रीफ' पर बढ़ा खतरा

Neha Dani
3 July 2021 11:38 AM GMT
उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में चट्टानों पर आसपास प्रवाल की करीब 60 प्रजातियां खत्म, ग्रेट बैरियर रीफ पर बढ़ा खतरा
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डेमो फोटो 

प्रवाल की प्रजातियां 'ग्रेट बैरियर रीफ' और उससे आगे कहीं और विलुप्त हो सकती हैं।

ऑस्ट्रेलिया सरकार ने संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था की एक सिफारिश का विरोध किया है जिसमें प्रवाल भित्ति को 'खतरे' की सूची में रखा गया है। लेकिन, इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रवाल भित्ति भीषण संकट में है। नए शोध में, प्रवाल की प्रजातियों की दुर्दशा के बारे में नई जानकारी प्रदान करते हैं।

जलवायु परिवर्तन और समुद्री की गर्म लहरों के कारण उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में चट्टानों पर बड़े पैमाने पर प्रवाल खत्म होते जा रहे है। इस शोध में ''ग्रेट बैरियर रीफ'' के उत्तरी छोर पर, लिजर्ड द्वीप के आसपास 44 वर्षों के प्रवाल की मौजूदगी के रिकॉर्ड की जांच की। अध्ययन में पाया गया कि प्रवाल की 16 प्रतिशत प्रजातियां कई वर्षों से नहीं देखी गई हैं और या तो स्थानीय स्तर पर उनके विलुप्त होने का खतरा है अथवा वे इस क्षेत्र से गायब हो रही हैं।
यह चिंताजनक है क्योंकि स्थानीय स्तर पर विलुप्ति अक्सर व्यापक और अंततः वैश्विक स्तर पर प्रजातियों के विलुप्त होने की घटनाओं का संकेत देती है। लिजर्ड द्वीप के प्रवाल का क्षेत्र केर्न्स से 270 किलोमीटर उत्तर में है। पिछले चार दशकों में इसे बड़ी गड़बड़ी का सामना करना पड़ा है। क्राउन-ऑफ-थॉर्न सीस्टार का बार-बार प्रकोप, 2014 और 2015 में श्रेणी-4 के चक्रवात और 2016, 2017 और 2020 में प्रवाल के हटने की घटनाएं शामिल हैं। यह शोध लिजर्ड द्वीप के चारों ओर "हेर्माटाइपिक" प्रवाल भित्ति पर केंद्रित है। ये मूंगे कैल्शियम कार्बोनेट जमा करते हैं और चट्टान की कठोर रूपरेखा बनाते हैं।
वर्ष 2011 और 2020 के बीच 14 स्थानों पर चार बार कठोर मूंगा को लेकर जैव विविधता का सर्वेक्षण किया। इसके साथ ही 1976 से 2020 तक प्रजातियों के रिकॉर्ड के प्रकाशित परिणामों को जोड़ा।
प्रवाल की लापता प्रजातियों में शामिल हैं - एक्रोपोरा एब्रोटेनोइड्स, मिक्रोमोसा लोरधोवेंसिस और एक्रोपोरा एस्पेरा। यह पता लगा कि 59 प्रवाल प्रजातियों के स्थानीय स्तर पर विलुप्त होने या उनकी संख्या कम होने का खतरा है। स्थानीय प्रजातियों का विलुप्त होना अक्सर क्षेत्रीय और आखिरकार वैश्विक स्तर पर विलुप्त होने का संकेत देता है।
अधिकांश स्थानों में प्रवाल की सभी प्रजातियों के वितरण के आंकड़ों की कमी है। इसका मतलब यह है कि परिवर्तनों का आकलन करना और प्रत्येक प्रजाति पर जलवायु परिवर्तन और अन्य मानव जनित दबाव के कारण होने वाले नुकसान को समझना कठिन हो सकता है।
केवल इस अतिरिक्त जानकारी के साथ ही वैज्ञानिक निर्णायक रूप से कह सकते हैं कि क्या लिजर्ड द्वीप पर स्थानीय प्रजातियों के विलुप्त होने के जोखिम का स्तर एक खतरे को इंगित करता है कि प्रवाल की प्रजातियां 'ग्रेट बैरियर रीफ' और उससे आगे कहीं और विलुप्त हो सकती हैं।


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