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उनकी मानें तो अब वाकई समय आ गया है जब कोई कदम उठाना होगा।
वॉशिंगटन: अमेरिका और चीन के बीच तनाव और राष्ट्रपति जो बाइडेन का ताइवान पर आक्रामक रवैया पूरी दुनिया के सामने है। लेकिन इसके बीच ही जो खबर मीडिया की तरफ से आई है, वह चौंकाने वाली है। अमेरिकी मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीनी वैज्ञानिकों को इस समय चीन की सरकार की तरफ से वित्तीय मदद वाली उस लैब में काम करने के लिए रखा गया है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी है। हालांकि यह भर्ती पिछले दो दशकों में हुई है और इनमें से कई वैज्ञानिक तो एडवांस मिलिट्री टेक्नोलॉजी पर भी काम कर रहे हैं।
कई वैज्ञानिक लौटे चीन
एनबीसी न्यूज ने एक प्राइवेट इंटेलीजेंस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि इन वैज्ञानिकों की वजह से अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में आ गई है। स्ट्राइडर टेक्नोलॉजी की तरफ से आई इस रिपोर्ट में चीन की सरकार के उन प्रयासों का जिक्र किया गया है जिसके तहत अमेरिका की लॉस अल्मॉस नेशनल लैबोरेट्री में चीनी वैज्ञानिकों की भर्ती कराना था। इस लैब में करीब 154 चीनी वैज्ञानिक काम काम कर रहे हैं।
इस लैब में ही सबसे पहले अमेरिका ने अपने परमाणु हथियार तैयार किए थे। रिपोर्ट के मुताबिक कई वैज्ञानिकों को बाद में चीन वापस बुलाया लिया गया ताकि वे ऐसी तकनीकों में आगे बढ़ने में मदद कर सकें जैसे कि धरती में काफी गहरे तक हमला करने वाले हथियार, हाइपरसोनिक मिसाइल, शांत पनडुब्बियां और ड्रोन। इन वैज्ञानिकों को एक मिलियन डॉलर तक चीनी सरकार की तरफ से अदा किए गए।
टैलेंट हंट में चुने जाते हैं वैज्ञानिक
चीन की सरकार ने टैलेंट प्रोग्राम्स के जरिए इन वैज्ञानिकों को रकम अदा की। ये ऐसे प्रोग्राम थे जिन्हें चीनी वैज्ञानिकों को चीन वापस लाने के लिए तैयार किए गए थे। अमेरिका की तरफ से हमेशा से ही इस तरह के टैलेंट हंट प्रोग्राम्स पर चिंता जताई गई है। लेकिन अधिकारियों की मानें तो पहले कभी कोई ऐसी रिपोर्ट नहीं आई जिसमें खास वैज्ञानिकों के नाम और प्रोजेक्ट जैसी जानकारियां विस्तार से दी गई हों।
स्ट्राइडर के को-फाउंडर और रिपोर्ट को तैयार करने वाले ग्रेग लेवेस्क्यू की मानें तो यह टैलेंट ट्रांसफर अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि चीन एक ऐसा खेल खेल रहा है जिसके लिए अमेरिका बिल्कुल भी तैयार नहीं है। उनकी मानें तो अब वाकई समय आ गया है जब कोई कदम उठाना होगा।
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