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साल 2021 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार का ऐलान कर दिया गया है
साल 2021 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize 2021) का ऐलान कर दिया गया है. इस साल साहित्य का नोबेल तंजानिया के अब्दुलराजाक गुरनाह को दिया गया है. गुरनाह का जन्म जंजीबार में सन् 1948 में हुआ. उनका जीवन हालांकि यूनाइटेड किंगडम (UK) और नाइजीरिया में बीता है.
अब्दुलराजाक गुरनाह अंग्रेजी भाषा में लिखते हैं. उनका मशहूर उपन्यास Paradise है. इसे साल 1994 के लिए बुकर प्राइज भी मिला था. गुरानाह फिलहाल यूके में रहते हैं और केंट यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं. गुरनाह की 10 नॉवेल पब्लिश हो चुकी हैं और उन्होंने कई शॉर्ट स्टोरीज भी लिखी हैं.
1986 के बाद पुरस्कार हासिल करले वाले अश्वेत
आंद्रेस ओलसोन जो नोबेल कमेटी के मुखिया हैं, उन्होंने इस पुरस्कार का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि कि तंजानिया के लेखक के उपन्यास एक असफल विद्रोह के बारे में, उनके सबसे हालिया, 'शानदार', आफ्टरलाइव्स, 'रूढ़िवादी विवरणों से पीछे हटना और सांस्कृतिक रूप से विविध पूर्वी अफ्रीका के लिए आंखें खोलने वाले हैं जो दुनिया के अन्य हिस्सों में कई लोगों के लिए अपरिचित है.
सन् 1986 के बाद से गुरनाही पहले अफ्रीकी अश्वते हैं जिन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला है. साल 1986 में वोले सोयिंका को नोबेल पुरस्कार मिला था. साथ ही वो तंजानिया के पहले नागरिक हैं जो सम्मान को हासिल कर सके हैं. Paradise उनका चौथा नॉवेल था. ओलसोन के मुताबिक Paradise वो नॉवेल है जिसमें एक उम्र की कहानी के साथ ही एक लव स्टोरी भी देखने को मिलती है.
किचन में काम करते समय हुई खबर
ओलसोन ने बताया कि जिस समय नोबेल पुरस्कार का ऐलान हुआ, गुरनाह किचन में थे. उनकी पत्नी ने उन्हें इस बारे में बताया. ओलसोन की मानें तो नोबेल पुरस्कार तय करने वाली कमेटी ने उनसे काफी लंबी और बहुत सकारात्मक वार्ता की थी.
हाल ही में गुरनाह ने Afterlives tells of Ilyas नॉवेल लिखा है. नॉवेल की कहानी एक ऐसे व्यक्ति के बारे में है जिसे जर्मन सैनिक उनके माता-पिता से चुरा लेते हैं. वह बच्चा कई साल के बाद अपने गांव लौटता है और अपने ही लोगों के खिलाफ युद्ध में हिस्सा लेता है.
ब्रिटिश मीडिया ने इसे एक ऐसा नॉवेल करार दिया है जो लोगों को कुछ सोचने पर मजबूर कर देता है. ब्रिटिश अखबार द गार्डियन की मानें तो नॉवेल उन लोगों को करीब ला सकता है जिन्हें भुला दिया गया है और जो अपनी अस्तित्व की रक्षा के लिए लड़ते रहते हैं.
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