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वैज्ञानिकों को इससे बड़ी खोज की उम्मीद
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने धरती से 1,400 प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक सफेद बौने तारे (white dwarf star) में दुर्लभ घटना को रिकॉर्ड किया है। यह बौना तारा मात्र 30 मिनट के अंतराल पर किसी बल्ब की तरह ऑन और ऑफ हो रहा था। खगोलविदों का कहना है कि इस घटना से पहले तारों के ऑन-ऑफ होने का अंतराल दिनों या महीनों में ही देखा गया है।
नासा के डेटा के जरिए शोधकर्ताओं ने की खोज
इस घटना को डरहम यूनिवर्सिटी की टीम ने नासा के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) के डेटा के आधार पर देखा है। इस सफेद बौने तारे की पहचान ने पृथ्वी से 1,400 प्रकाश वर्ष दूर स्टार सिस्टम TW पिक्टोरिस के रूप में हुई है। उन्होंने पाया कि इस तारे में चमक बढ़ने और घटने में महीनों लगने के बजाए सिर्फ आधा घंटा लग रहा था। उन्होंने शक जताया कि संभवत यह घटना तेज चुंबकीय क्षेत्र के कारण हो रही थी।
वैज्ञानिकों को इससे बड़ी खोज की उम्मीद
शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इस खोज से उन्हें ब्लैक होल, व्हाइट ड्वार्फ और न्यूट्रॉन सितारों और उनके आसपास मिलने वाले पदार्थों के बारे में अधिक जानकारी मिलेगी। TESS के डेटा से वैज्ञानिकों ने पाया कि TW पिक्टोरिस की चमक में बदलाव काफी तेज थे। शोधकर्ताओं का मानना है कि वे जो देख रहे हैं वह सफेद बौने तारे में जो देख रहे हैं वह सतह के चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव हो सकता है।
सफेद बौना तारा क्या होता है?
सूर्य के द्रव्यमान से 10 गुना बड़े तारे अपने जीवन के अंत में एक हिंसक सुपरनोवा का शिकार होते हैं। ये तारे तब बनते हैं, जब वे अपने हाइड्रोजन को पूर्ण रूप से जला देते हैं। यह हाइड्रोजन की तारे को ईंधन देता है। कुछ ऐसी ही घटना 5 अरब साल बाद हमारे सूर्य के साथ भी होनी तय है। ईंधन खत्म होने के बाद इन तारों से लाल लपटें काफी दूर तर सफर करती हैं। इन तारों का कोर तब भी बहुत गर्म होता है जो बौने तारे के नाम से जाना जाता है।
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