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पाकिस्तान में पिछले दिनों भारी बारिश की वजह से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. इस बारिश के दौरान सिंध प्रांत के पुरातात्विक स्थल मोहनजोदड़ो (Mohenjo-daro) के करीब एक अनोखी प्राचीन वस्तु मिली है, जिसे 'बुद्ध पेंडेंट' (Buddha pendant) कहा जा रहा है. अब इस पेंडेंट के निर्माण काल और उम्र को स्थापित करने के लिए विशेषज्ञों की राय मांगी गई है. तीन अगस्त को भारी बारिश के बाद पुरातात्विक महत्व (Archaeological importance) की यह वस्तु मोहनजोदड़ों के दक्षिणी दीक्षित इलाके से मिली थी.
बारिश के बाद गहराई में मिली मूर्ति
डॉन की खबर के मुताबिक पुरातात्विक स्थल के करीब स्थित धनाड गांव के निवासी और टूरिस्ट गाइड इरशाद अहमद सोलांगी ने गुरुवार को कहा कि भारी बारिश के बाद उन्हें यह वस्तु एक गहरे स्थान पर मिली थी. इस पेंडेंट के मिलने के बाद इरशाद ने तुरंत इसकी जानकारी स्थान के संरक्षक नवीद संगाह को दी. पुरातत्व विभाग के वरिष्ठ संरक्षणवादी अली हैदर ने भी इसकी पुष्टि की कि भारी बारिश के कारण ही अनोखी वस्तु सामने आई है.
पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता और वर्तमान में 'एंडोवमेंट फंड ट्रस्ट' (EFT) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर काम कर रहे मोहन लाल ने वस्तु की जांच करने के बाद इसकी पहचान 'बुद्ध पेंडेंट' के रूप में की है. उन्होंने बताया कि यह दुर्लभ खोज लापता इतिहास को जोड़ने के काम आ सकती है और इसके लिए आगे की स्टडी की जाएगी. संस्कृति विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह वस्तु गले में लोगों द्वारा पहने जाने वाले किसी पेंडेंट की तरह लगती है.
एक्सपर्ट की ले रहे मदद
उन्होंने कहा कि इस जगह पर पेंडेंट का मिलना दुर्लभ खोज हो सकता है और एक्सपर्ट ही बता सकते हैं कि यह कांस्य या किसी अन्य सामग्री से बना है. उन्होंने कहा कि वही इसके एतिहासिक मूल्य का भी पता लगा सकते हैं. मोहनजोदड़ो के संरक्षक नवीद संघ ने कहा कि हमने वस्तु के निर्माण और उम्र के बारे में जानने के लिए संस्कृति विभाग में काम करने वाले एक विशेषज्ञ से संपर्क किया है. विभाग के एक वरिष्ठ संरक्षणवादी अली हैदर गढ़ी ने कहा कि भारी बारिश के कारण यह छोटी मूर्ति सामने आई है.
मोहनजोदड़ो 1922 में भारतीय पुरातत्वविद् आर डी बनर्जी की ओर से खोजा गया एक पुरातात्विक विरासत स्थल है. यह सिंध प्रांत में सिंधु नदी के पूर्वी इलाके में स्थित है. 618 एकड़ में फैला यह सिंधु सभ्यता (2600-1900 ईसा पूर्व) का सबसे बड़ा और सबसे अच्छा संरक्षित केंद्र है.
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