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एक ऐसी जगह जहां 3 महीने के अंदर आए 30 हजार से ज्यादा भूकंप, वजह है चिंताजनक

jantaserishta.com
18 Dec 2020 5:05 AM GMT
एक ऐसी जगह जहां 3 महीने के अंदर आए 30 हजार से ज्यादा भूकंप, वजह है चिंताजनक
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हमारी धरती पर सात महाद्वीप हैं. इनमें से एक महाद्वीप पर पिछले तीन महीने में 30 हजार से ज्यादा भूकंप (Earthquakes) आ चुके हैं. ये दावा किया है कि चिली के वैज्ञानिकों ने. इस महाद्वीप पर अगस्त महीने के अंत से लेकर अब तक हजारों बार भूकंप आया है. इनमें से कई तो रिक्टर पैमाने पर 6 की तीव्रता के भी थे. आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह क्या है?

पिछले तीन महीनों में 30 हजार से ज्यादा बार भूकंप की मार झेलने वाले महाद्वीप का नाम है अंटार्कटिका (Antarctica). यूनिवर्सिटी ऑफ चिली के भूगर्भ वैज्ञानिकों ने स्टडी कर यह खुलासा किया है. यूनिवर्सिटी में ही मौजूद नेशनल सीस्मोलॉजिकल सेंटर (National Seismological Center) के साइंटिस्ट ने कहा कि अंटार्कटिका के ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट (Bransfield Strait) में 6 की तीव्रता वाला जोरदार भूकंप भी आया था.
ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट (Bransfield Strait) साउथ शेटलैंड आइलैंड्स और अंटार्कटिक प्रायद्वीप के बीच मौजूद 96 किलोमीटर चौड़ी समुद्री खाड़ी है. इस खाड़ी के पास कई बड़ी टेक्टोनिक प्लेटों और माइक्रोप्लेट्स का मिलन होता है. इनमें होने वाले टकराव, बिखराव और घर्षण की वजह से यहां पर पिछले तीन महीनों से भूकंप ज्यादा आ रहे हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स में छपी खबर के मुताबिक कुछ सदियों पहले ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट (Bransfield Strait) हर साल 7 से 8 मिलीमीटर फैल रहा था. अब यह हर साल 6 इंच यानी 15 सेंटीमीटर की गति से फैल रहा है. इसका मतलब ये है कि ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट (Bransfield Strait) के नीचे टेक्टोनिक प्लेटों में काफी ज्यादा गतिविधियां हो रही हैं.
नेशनल सीस्मोलॉजिकल सेंटर के निदेशक सर्जियो बैरिनटोस ने बताया कि ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट (Bransfield Strait) के फैलाव में करीब 20 गुना का इजाफा हुआ है. इसका मतलब ये है कि शेटलैंड आइलैंड्स तेजी से अंटार्कटिका से अलग हो रहा है. इसी वजह से ब्रैन्सफील्ड स्ट्रेट (Bransfield Strait) की चौड़ाई भी बढ़ रही है.
अंटार्कटिका का यह इलाका धरती पर तेजी से गर्म होने वाला इलाका बन रहा है. इसलिए यहां पर वैज्ञानिकों की नजर लगातार बनी हुई है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से यहां की बर्फ और ग्लेशियर पिघलकर टूट रहे हैं. हालांकि, सैंटियागो यूनिवर्सिटी के पर्यावरण वैज्ञानिक रॉल कॉर्डेरो ने कहा कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि भूकंप की वजह से भी ग्लेशियर टूटे हैं या बर्फ पिघली है.
रॉल कॉर्डेरो ने बताया कि इस बात के पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं कि भूकंप की वजह से अंटार्कटिका या उसके आसपास के इलाके में फैली बर्फ की चादरों पर कोई नुकसान हुआ हो. अंटार्कटिका का तापमान तेजी से बदल रहा है. यह गर्म हो रहा है. कुछ महीने पहले यहां पर हरे रंग की एल्गी का जमावड़ा देखा गया था.
एल्गी यानी काई तब पनपती है जब उसे जीरो डिग्री सेल्सियस के ऊपर का तापमान मिलता है. यूरोपियन स्पेस एजेंसी के सेंटीनल-2 सैटेलाइट दो साल से अंटार्कटिका की तस्वीरें ले रहा है. इन्हें जांचने के बाद कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे के वैज्ञानिकों ने पहली बार पूरे अंटार्कटिका में फैल रहे इस हरे रंग का मैप तैयार किया है.
वैज्ञानिकों को पूरे अंटार्कटिका में 1679 अलग-अलग स्थानों पर इस हरे रंग के बर्फ के प्रमाण मिले हैं. वैज्ञानिकों ने बताया कि अंटार्कटिका के बर्फ का हरे रंग में बदलने का कारण एक समुद्री एल्गी है. जिसकी वजह से अलग-अलग जगहों पर ऐसे रंग देखने को मिल रहे हैं.


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