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वैज्ञानिकों में बढ़ी चिंता
अरबों जीवों का प्राकृतिक घर यानि हमारी पृथ्वी का एक हिस्सा दूसरे के मुकाबले बहुत तेजी से ठंडा हो रहा है। नार्वे स्थित ओस्लो विश्वविद्यालय के ताजा शोध में कहा गया है कि प्रशांत महासागर की तरफ का धरती का आधा हिस्सा अफ्रीकी हिस्से के मुकाबले अपनी गर्मी को ज्यादा तेजी से खो रहा है। इस शोध के दौरान 40 करोड़ साल के कंप्यूटर मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।
इन कंप्यूटर मॉडल के आधार पर यह गणना की गई है कि कौन सा गोलार्द्ध महाद्वीपीय पिंड के द्वारा कितना अलग था। यह गर्मी को छोड़ने की बजाय अपने अंदर बनाए रखने के लिए बेहद अहम गुण है। ताजा शोध जिओफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुआ है। दरअसल, पृथ्वी के अंदर एक लाल गर्म लिक्विड है जो पूरे ग्रह को अंदर से गर्म बनाए रखता है।
बहुत लंबे समय तक गरम लिक्विड शांत होता रहेगा
यह लिक्विड घूमता रहता है और इससे गुरुत्वाकर्षण बल और पृथ्वी का मैग्नेटिक फील्ड बनता है। यह हमारी रक्षा करने वाले वातावरण को पृथ्वी के सतह के पास बनाए रखता है। आने वाले बहुत लंबे समय तक यह गरम लिक्विड तब तक शांत होता रहेगा जब तक कि पृथ्वी मंगल ग्रह की तरह से नहीं हो जाती है। इस शोध में आश्चर्यजनक बात यह है कि पृथ्वी के कुछ हिस्सों में को और ज्यादा बड़े टुकड़े के द्वारा अलग किया जा रहा है जिससे थेरमोस परत पैदा हो रही है जो गर्मी को अपने अंदर रोक रही है।
शोध में कहा गया है कि जमीन का टुकड़ा समुद्र की सतह की तुलना में ज्यादा गर्मी को रोक रहा है। हालांकि शोध से यह भी पता चलता है कि करोड़ों वर्षों में एक ऐसा भी समय था जब प्रशांत महासागर का हिस्सा ज्यादा गर्म था। विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले 40 करोड़ साल से प्रशांत गोलार्द्ध का हिस्सा समुद्र से ज्यादा ढंका हुआ है और जमीन पानी के मुकाबले ज्यादा ऊष्मारोधी है।
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