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जून 2020 से फरवरी 2021 के बीच यह प्रयोग किया गया था।
कोविड-19 न्यूमोनिया के कुछ मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने पर एक नई दवा से उनका इलाज होता है। द लैंसेट रेस्पिरेट्री मेडिसिन जरनल में प्रकाशित शोध में बर्मिघम यूनिवर्सिटी और आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 'नामिलुमैब' का परीक्षण कर उसे इस बीमारी के इलाज के लिए उपयुक्त पाया है। यह एक एंटीबाडी है जिससे रेमाटायड आर्थोराइटिस का उसके आखिरी चरण में इलाज किया जाता है। यह खासतौर पर उन मरीजों को दिया जाता है जो कोविड-19 न्यूमोनिया से पीडि़त हों।
इन मरीजों के खून में ज्वलनशीलता का मार्कर अत्यधिक पाया गया जिसे सी रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) कहते हैं। सीआरपी तब बढ़ता है जब शरीर में ज्वलनशीलता और सूजन बढ़ जाती है।
सी रिएक्टिव प्रोटीन में ज्वलनशीलता व सूजन के लिए सबसे अधिक संवेदी एक्यूट चरण रिएक्टेंट होता है। एक्यूट आघात, जीवाणु इंफेक्शन, सर्जरी और नीयोप्लास्टिक प्रसार के बाद स्तर में नाटकीय रूप से वृद्धि होती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड-19 के संक्रमण की गंभीरता बढ़ने से शरीर में सीआरपी का स्तर भी बढ़ता है। एंटीबाडी 'नामिलुमैब' के प्रयोग से अस्पताल में भर्ती किए कोविड-19 न्यूमोनिया के मरीज में ज्वलनशीलता और सूजन घटती है। 'नामिलुमैब' असल में सायटोकीन पर निशाना साधता है और प्रतिरोधक कोशिकाओं से इसका स्राव होता है। 16 साल से अधिक आयु के ऐसे मरीजों पर जून 2020 से फरवरी 2021 के बीच यह प्रयोग किया गया था।
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